Bihar News: बिहार में मानसून कमजोर पड़ गया है. इस कारण अब लोगों को उमस भरी गर्मी सताने लगी है. बताया जा रहा है कि सात दिनों तक अच्छी बारिश नहीं होगी और गर्मी सभी को परेशान करने वाली है. पटना में अगले चार दिनों के मौसम के हाल की बात करें तो 22 जुलाई को पटना का न्यूनतम तापमान पूर्वानुमान 28 डिग्री सेल्सियस, 23 जुलाई पटना का न्यूनतम तापमान पूर्वानुमान 29 डिग्री सेल्सियस, 24 और 25 जुलाई को पटना का न्यूनतम तापमान पूर्वानुमान 29 डिग्री सेल्सियस है. फिलहाल, यहां कहीं भी भारी बारिश को लेकर अलर्ट नहीं है. लेकिन, इस बीच ठनका को लेकर विभाग का अलर्ट है.
राजधानी पटना में कड़ी धूप के बावजूद आसमान में बादल छाए हुए है. यहां उमस भरी गर्मी लोगों का बुरा हाल कर रही है. मौसम विज्ञान केंद्र ने चार दिनों बाद वर्षा की गतिविधियों में तेजी आने की संभावना जताई है. उत्तर बिहार के इलाके में चार दिनों के बाद ठनका के साथ मेघ गर्जन का अलर्ट है. इसके साथ ही 24 जुलाई के बाद ही बारिश होगी. वहीं, फिलहाल कुछ इलाकों में ही हत्की बूंदा बांदी के आसार है. मौसम विभाग ने राज्य के कई इलाकों में ठनका को लेकर चेतावनी दी है.
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अभी लोगों को उमस गर्मी सता रही है. वहीं, कुछ दिनों पहले बारिश और ठनका से लोगों का हाल बेहाल था. कई लोगों की ठनका गिरने से मौत हुई है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने मुआवजे का एलान किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वज्रपात से हुए मौत पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की. उन्होंने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये अविलंब अनुग्रह अनुदान देने का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में वे प्रभावित परिवारों के साथ हैं. इसके अलावा मौसम विभाग भी लोगों से ऐसे समय में घर से बाहर नहीं निकलने समेत कई तरह का आग्रह किया.
वहीं, फिलहाल अधिकतम तापमान 40 के करीब पहुंच चुका है. अगले दो दिनों तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है. बारिश की कमी का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है. अभी राज्य में सामान्य से कम बारिश हुई है. शुक्रवार को बिहार में मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है. अररिया व किशनगंज में ठनका का अलर्ट है. राज्य में सैकड़ों लोग वज्रपात की भेट चढ़ जाते है. आसमान से आफत बरसती है. कई पशुओं की ठनका के गिरने से मौत हो जाती है. मौसम विभाग ने एक बार फिर ठनका की चेतावनी जारी करते हुए खराब मौसम में सावधानी बरतने की अपील की है.
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लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि खराब मौसम में सावधानी बरता जाए. बता दें कि मौसम की स्थिति बिगड़ने पर लोगों को किसी भी सुरक्षित स्थान पर शरण लेना पड़ता है. सुरक्षित स्थान पर जाने से लोग अपना बचाव कर सकते है. बिजली के खंभों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. थोड़ी सी सावधानी बरतकर ऐसी स्थिती में अपनी जान बचाई जा सकती है. मौसम के खराब होने पर किसानों को कभी भी अपने खेतों में नहीं जाना चाहिए. खेतों में काम करने से वह ठनका की चपेट में आ सकते हैं. वहीं, इस बार बारिश कम हुई है. कई इलाकों में हल्की बारिश की विभाग ने संभावना जताई है. बक्सर में तापमान 39 डिग्री पहुंच चुका है. इसके 40 के पार पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.
बिहार में बाढ़ की दहशत के बीच यह बात कई लोगों को हैरान कर रही है कि अब सुखाड़ से किसानों पर आफत आ सकती है. मालूम हो कि सूबे के किसी भी जिले में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश नहीं हुई है. इस कारण सुखाड़ के आसार दिख रहे हैं. मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि इस महीने भी औसत से कम बारिश ही होगी. विभाग की ओर से पूरे राज्य में सूखे की आशंका जतायी जा रही है. बारिश के ताजा आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में एक भी ऐसा जिला नहीं है, जहां बारिश सामान्य या इससे अधिक रही हो. सभी जिलों में बारिश की मात्रा ऋणात्मक ही है. वहीं, 11 जिले ऐसे हैं, जहां बारिश तीन से 19% कम होने के बाद भी इन जिलों को सामान्य बारिश की श्रेणी में रखा गया है. राज्य में कुछ जिलों में 65 से लेकर 70% तक कम बारिश हुई है. सीतामढ़ी जिले में 75% कम बारिश हुई है. उसी तरह शिवहर में 68%, पूर्वी चंपारण में 60%, बेगूसराय में 58% और पश्चिमी चंपारण में 57% कम बारिश हुई है.
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वहीं, जुलाई के महीने में भी बारिश को लेकर मौसम विज्ञान विभाग का पूर्वानुमान लोगों के लिए उत्साहजनक नहीं है. सावन के महीने में उमस भरी गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है. इसी महीने भी बारिश सामान्य से कुछ कम ही रह सकती है. महीने के दूसरे सप्ताह की शुरुआत से लेकर अब तक मानसून की सक्रियता के लिए जरूरी सिस्टम नहीं बन सका है. इस कारण ही यहां मानसून कमजोर है. राज्य में मानसून में ब्रेक लग गया है. मानसून का सिस्टम कमजोर है या यह सामान्य के आसपास है. हालांकि, कहा जा रहा है कि पिछले साल से इस साल स्थिति अच्छी है. साल 2022 में 16 जुलाई तक प्रदेश में सामान्य से 46% कम 196 एमएम बारिश हुई थी. इस साल बिहार में अभी तक सामान्य से 32% कम 236 एमएम बारिश हुई है.
बता दें कि बारिश का फायदा किसानों को नहीं हुआ है.. वहीं आकाशीय बिजली ने सूबे में कई लोगों की जान ली है. आफत की इस बारिश ने कई परिवारों को नुकसान पहुंचाया. वहीं कई जिलों में बाढ़ की स्थिति है. मालूम हो कि कम बारिश से सबसे अधिक नुकसान किसानों को ही है. वहीं, बाढ़ से आम लोग और किसानों दोनों को ही नुकसान होता है. मालूम हो कि किसान बारिश का इंतजार करते है. बारिश फसलों के लिए अच्छा साबित होता है. बारिश के कारण कई ऐसी फसलें है, जिन्हें लाभ मिलता है. धान के पौधों के लिए पानी अमृत के सामान होता है. वर्षा से धान की फसल को फायदा पहुंचता है. खेतों में नमी होने से धान के पौधे को जड़ से पर्याप्त पोषक तत्व मिलता है. मिट्टी के गिली होने से फसल को उर्वरा पहुंचती है. लेकिन, अभी कम बारिश से नुकसान पहुंच रहा है.