पटना. बिहार में अब तक सामान्य से 30% अधिक कुल 535 मिलीमीटर बारिश हुई है. विशेष बात यह है कि एक जून से एक जुलाई के बीच प्रदेश में 401 मिलीमीटर बारिश हुई थी. इसके बाद जुलाई में अब तक केवल 135 मिलीमीटर बारिश रिकाॅर्ड की गयी. साफ है कि जेठ में प्रदेश में भारी बारिश हुई, जबकि जुलाई के पहले 20 दिन अर्थात आषाढ़ में महज 6.4 मिलीमीटर रोजाना बारिश हुई है. इससे पहले रोजाना 13.36 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई थी.
बात साफ है कि इस साल एकदम समय पर आये दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने प्रदेश के किसानों को उम्मीदें दिखायी थीं, वहीं जुलाई में कमजोर मॉनसून ने किसानों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि पूरे प्रदेश में हुई बेहतर बारिश ने प्रदेश को भू-जल के लिहाज से सबसे ज्यादा संभावनाएं जतायी हैं.
इसलिए इस वर्ष खरीफ और रबी में सिंचाई की दिक्कतें नहीं होंगी, लेकिन तय है कि शेष अवधि में समय पर बारिश नहीं हुई तो गर्मी की अधिकता से धान की फसल की गुणवत्ता भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. वर्तमान मॉनसून सीजन के वर्तमान दौर में आयी बाढ़ ने प्रदेश के एक-तिहाई इलाके में विशेष रूप से सब्जी की खेती को बुरी तरह प्रभावित किया है.
मौसम के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो जुलाई में कम बारिश के चलते नौ जिलों में मॉनसून का आंकड़ा ऋणात्मक की ओर हो गया गया है. पूरे जून महीने में प्रत्येक जिले में मॉनसून बारिश सामान्य से 100 फीसदी अधिक थी, जबकि जुलाई में प्रदेश में सामान्य से केवल 30 फीसदी अधिक बारिश रह गयी है. बात साफ है कि प्रदेश में बेहतर दिख रही बारिश की वजह जून की बारिश है.
आइएमडी पटना की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में आगामी पांच दिन मॉनसून बेहद कमजोर रहेगा. इसलिए अच्छी बारिश के आसार बेहद कम हैं. दरअसल, बिहार में अभी कोई मॉनसूनी सिस्टम सक्रिय नहीं है. ट्रफ लाइन भी नहीं गुजर रही है और न ही कम दबाव का केंद्र बिहार के आसपास सक्रिय है.
बंगाल की खाड़ी में बन रहा कम दबाव का केंद्र भी अब तक मॉनसून को बिहार की तरफ धकेल पाने में समर्थ नहीं हो पा रही है. हालांकि, लोकल गर्मी और नमी की बढ़ी हुई मात्रा से समय समय पर सामान्य से मध्यम बारिश होती रहेगी.
Posted by Ashish Jha