पटना. सत्तू, बेसन, तेल, मखाना जैसे स्थानीय खाद्य उत्पादों की छोटी-छोटी यूनिटें प्रदेश की अर्थव्यवस्था में जान फूंक सकती हैं. साथ ही छोटी रेडीमेड गारमेंट यूनिटों से भी अर्थव्यवस्था को दम मिलेगा. दरअसल चारों तरह की मुख्यमंत्री उद्यमी योजनाओं के तहत इस तरह के निर्माण क्षेत्र में आये आवेदनों में 50 फीसदी से अधिक आवेदन अकेले खाद्य उत्पादों के निर्माण से जुड़े हैं. दरअसल बिहार में ऐसे उत्पाद तैयार होंगे, जिनके उत्पादक, उपभोक्ता, कच्चा माल और बाजार सभी स्थानीय होंगे. चारों उद्यमी योजना में लक्ष्य से करीब आठ गुना अधिक आये कुल 62500 आवेदनों में 60 फीसदी निर्माण क्षेत्रों के लिए हैं.
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में चारों उद्यमी योजनाओं के जरिये व आठ हजार लोगों को बतौर लोन आठ सौ करोड़ रुपये बांटे जाने हैं. बेशक बतौर लोन दी रही कुल रकम अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद छोटी रकम हो सकती है,लेकिन इसकी दिशा अर्थव्यवस्था को आत्म निर्भर बनाने वाली है. जिसे आर्थिक जानकार अहम मान रहे हैं. फिलहाल दूसरी तरफ, निर्माण क्षेत्र से परे सेवा क्षेत्र में टेंट और ब्यूटी पार्लर और टूरिज्म टैक्सी के लिए लोन के सबसे ज्यादा आवेदन आये हैं.
फिलहाल आवेदनों की स्क्रूटनी अभी जारी है. आठ हजार लोगों को लोन देने के लिए लक्ष्य से 25 फीसदी अधिक आवेदन लिये जायेंगे. लोन देने के लिए साक्षात्कार प्रणाली से परे लॉटरी सिस्टम का उपयोग करने की रणनीति बनायी जा रही है.चार में से तीन मुख्यमंत्री उद्यमी योजना बिल्कुल नयी हैं,इसलिए संभव है कि इसके लिए विभाग को निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी पड़ सकती है. हालांकि यह तय है कि दिसंबर मध्य के बाद से इन योजनाओं के तहत लोन धारकों का चयन कर लिया जायेगा.
Posted by: Radheshyam kushwaha