सोनपुर. विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला धार्मिक आध्यात्मिक ऐतिहासिक होने के साथ-साथ आज भी ग्रामीण परिवेश को अपने में समेटे है. वही पुराने मिजाज के अनुसार मेले में खरीदारी के लिए साजो सामान उपलब्ध है. रविवार को मेले में डेढ़ लाख से भी अधिक लोग पहुंचे. किसी भी स्टॉल या प्रदर्शनी के पंडाल में पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी. सभी सड़कें खचाखच भरी हुई थी. लोगों की पसंदीदा रामायण मंचन के साथ-साथ पर्यटन विभाग के मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
वही गुड़ की जिलेबी, चाट- फोकचा, समोसा तो है ही, साथ ही साथ चाइनीज फूड की भी स्टॉल सज गयी है. चाउमीन, डोसा का रेल ग्राम में होटल के साथ-साथ मेले में ठेले भी लगे हैं. जहां खाने के लिए लोग टूट रहे हैं. लोगों को यह डिश भी खूब पसंद आ रहा है. खाने-पीने की कई छोटी छोटी दुकानें सजी हैं. ठेला-खोमचा तो पुरानी पसंद है. मेला गये और चाट-फोकचा नहीं खाया और गंडक किनारे चौपाटी रेस्टोरेंट, नखासा क्षेत्र के संगत ग्रैंड पर नही गया तो मेला अधूरा रह गया. मेले में मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हैं. खास कर बच्चों की पसंद का पूरा ख्याल रखा गया है. झूला तो बच्चों के लिए खास तो होता ही है, अगर आसमानी झूला मिल जाये तो उनकी खुशियां बढ़ जाती है.
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मेले में उपलब्ध आसमानी झूले का बच्चों के साथ-साथ ही नवयुवक भी खूब आनंद उठा रहे हैं. दूसरी ओर रस्सी के सहारे छोटी बच्ची का करतब का खेल भी खूब भा रहा है. हैरतअंगेज खेल देख लोग दांतों तले उंगली दबाने को विवश हैं. इस बार मौत का कुआं अपना जादू नहीं दिखा पा रहा है, जिससे थोड़ी मायूसी छाई हुई है. मेले में खिलौनों की कई दुकानें सजी हैं. जहां तरह-तरह के छोटे-बड़े खिलौने उपलब्ध हैं. खरीदारी के लिए बच्चों के बीच आपाधापी मची है. बच्चों की जिद और उनकी मासूमियत अभिभावकों को उन दुकानों तक पहुंचा रही है.