दरभंगा. दरभंगा शहर का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. कभी तालाबों का शहर कहलानेवाले इस शहर में 100 से अधिक तालाब गायब हो चुके हैं. अब जो सरकारी आंकड़े सामने आये हैं वो बता रहे हैं कि शहर से एक हजार से अधिक कुएं महज 50 वर्षों के दौरान गायब हो गये. इन जल स्रोतों के शहर से गायब होने को लेकर न तो प्रशासन गंभीर है और न ही यहां के जन प्रतिनिधि को कोई चिंता है. सोमवार को समाहरणालय में उप विकास आयुक्त प्रतिभा रानी की अध्यक्षता में जल जीवन हरियाली अभियान के निर्धारित 11 अवयवों की कार्य प्रगति की समीक्षा की गयी. शहर के तमाम जलस्रोतों के गायब होने के बावजूद बैठक में जल स्रोतों पर से अतिक्रमण हटाने का कार्य संतोषजनक पाया गया. वैसे जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार कार्य में प्रगति लाने की आवश्यकता बतायी गयी. तालाब, आहर, पइन का जीर्णोद्धार कार्य चलाया जा रहा है. कुओं के जीर्णोद्धार की समीक्षा में पाया गया कि पंचायती राज विभाग द्वारा 353 एवं लघु सिंचाई विभाग द्वारा 345 कुआं का जीर्णोद्धार कराया गया है. बाकी कुएं अधिकारी को नहीं मिले और उसके वजूद को लेकर बस इतना कहा गया कि कुएं में मिट्टी भर दी गयी है. यह उस शहर के प्रशासन की चिंता है जहां घर तीसरा घर बोतलबंद पानी खरीद रहा है.
जिले में दर्ज हैं 1704 सार्वजनिक कुएं
आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले में 1704 सार्वजनिक कुएं हैं. इस तरह एक हजार से अधिक कुएं का पता नहीं चल रहा है. कई प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारियों ने बताया कि जिन स्थलों पर गूगल मैप कुआं बता रहा है, वहां वह नहीं मिल रहा. संभावना जतायी कि स्थानीय लोगों द्वारा कुआं को पूर्णत: भरकर बराबर कर दिया गया होगा. इस पर उप विकास आयुक्त ने कहा कि अंचलाधिकारी के माध्यम से सत्यापन करवाते हुए, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से प्रतिवेदित करें कि संबंधित स्थल पर कुआं नहीं है.
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सोख्ता निर्माण में तेजी लाने का निर्देश
जल स्रोतों के समीप सोख्ता निर्माण की समीक्षा में पाया गया कि पंचायती राज विभाग द्वारा 152 कुंओं के समीप सोख्ता का निर्माण करवाया गया है. जबकि पीएचइडी ने 348 चापाकल के समीप सोख्ता का निर्माण करा लिया है. मनरेगा द्वारा भी सोख्ता का निर्माण कराया जाता है. डीडीसी ने इस कार्य में पंचायती राज विभाग एवं मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारियों को तेजी लाने का निर्देश दिया. चेक डैम का निर्माण लघु सिंचाई विभाग, पंचायती राज विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कराया जाना है. संबंधित विभागों को भी काम में तेजी लाने को कहा गया.
नये जल स्रोतों के निर्माण पर लगाएं जोर
नये जल स्रोत के सृजन के लिए खेत पोखर का निर्माण मनरेगा, मत्स्य, कृषि एवं लघु सिंचाई विभाग द्वारा किया जाना है. इसके कार्य में प्रगति लाने के निर्देश दिये गये. छत वर्षा जल संचयन के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य विभाग के चिन्हित भवनों में तेजी से काम करने को कहा गया. पौधरोपण, जैविक खेती, टपकन सिंचाई, सौर ऊर्जा के प्रोत्साहन एवं सरकारी भवनों के निरीक्षण कार्य की भी समीक्षा की गयी. बैठक में संयुक्त निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार एवं अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे.
दरभंगा शहर से गायब हो गये सवा सौ तालाब
दरभंगा को तालाबों का जिला कहा जाता है. यहां तकरीबन 65 सौ तालाब हैं. जिनमें दो हजार तालाब सरकारी कब्जे में हैं. इनमें से ज्यादातर तालाब 200 से 900 साल पुराने हैं. 1964 में प्रकाशित गजेटियर के मुताबिक दरभंगा में तीन सौ से अधिक तालाब थे. 1989 में प्रो. एसएच बज्मी ने शहर के तालाबों का सर्वेक्षण किया था. उस सर्वे के मुताबिक तब शहर में 213 तालाब थे. उन्होंने उक्त तालाबों का रकबा भी दर्ज किया था, साथ ही एक नक्शा बना कर उसमें तालाबों की स्थिति दिखायी थी. वैसे, यह भी कहा गया था कि हो सकता है कुछ तालाब छूट गये हों. इस साल नगर निगम ने जानकारी दी है कि शहर में तालाबों और डबरों की कुल संख्या 84 है. हालांकि इसी साल शहर के करीब आधा दर्जन तालाब या तो भरे जा चुके हैं या भरे जा रहे हैं.