पटना. राज्य के 1067 पुलिस थानों में एक लाख के करीब मामले जांच को लंबित हैं. इसमें तेजी लाने के लिए जल्द ही अभियान शुरू होगा. पुलिसिंग को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए थानों को हर स्तर पर टाइट करके अपडेट करने की जुगत चल रही है. इसके लिए मुख्यालय स्तर के एडीजी से लेकर आइजी तक के करीब 28 अधिकारी सप्ताह में दो दिन अलग-अलग जिलों में थानों का औचक निरीक्षण करते हैं. इस निरीक्षण मुहिम के दौरान सभी थाना स्तर पर गड़बड़ी से जुड़ी कुछ समान बातें सामने आयी हैं. इसके अनुसार, थाना स्तर पर लंबित मामलों की फेहरिस्त काफी बड़ी होती जा रही है. खासकर शहरी या नगरीय थानों में लंबित मामलों की संख्या ग्रामीण थानों की तुलना में ज्यादा हैं. इन्हें कम करने पर सभी अधिकारियों का फोकस खासतौर से है.
थाना स्तर पर 30 से 40 फीसदी मामले संबंधित केस के आइओ (इंवेस्टिगेशन ऑफिसर) के स्तर पर लापरवाही बरतने के कारण भी होती है. समय पर जांच पूरी नहीं करना और कुछ मामलों में जांच को जानबूझ कर देर करना है. जल्दी-जल्दी आइओ का थाना स्तर पर तबादला होने से भी जांच कार्य प्रभावित होते हैं. इससे कई बार मामले ज्यादा लंबा खिंचते हैं. सभी थानों के स्तर पर अनुसंधान और विधि-व्यवस्था के विंग को अलग-अलग कर देने के कारण भी थाना स्तर पर पदाधिकारियों की किल्लत हो गयी है. इसके मद्देनजर पुलिस महकमा सरकार को पदाधिकारियों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव भेजेगा. इन्हें आंतरिक स्तर पर एडजस्ट किया जायेगा.
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बड़ी संख्या में लंबित मामलों के कारणों की तलाश करने पर कुछ अहम बातें सामने आयी हैं. इसके एक प्रमुख कारणों में मारपीट, हत्या समेत अन्य क्राइम के मामले में संबंधित हॉस्पिटल के स्तर से इंज्यूरी रिपोर्ट का देर से मिलना है. इसे लेकर पुलिस महकमा राज्य सरकार के पास इससे संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के स्तर से सभी हॉस्पिटल को यह आदेश जारी करने को कहा जायेगा कि वे किसी घटना की इंज्यूरी रिपोर्ट जितनी जल्दी हो सके सौंप दें.