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बिहार के तीन लाख से ज्यादा किसानों ने धान बेचने की जतायी इच्छा, धान की खरीद में हुई दोगुनी उछाल

अच्छी खबर यह है कि 60 फीसदी भुगतान हो चुका है. सात जिलों ने 1404 एमटी धान (सीएमआर) एसएफसी को जमा करा दिया है. बीते साल इस तारीख तक कुल 5500 समितियां मात्र 15000 एमटी धान ही खरीद कर पायी थीं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 25, 2020 7:20 AM

अनुज शर्मा, पटना. धान खरीद को 9500 करोड़ रुपये लोन लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गयी गारंटी से धान खरीद की रफ्तार करीब दोगुनी हो गयी है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बीते मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नाबार्ड या अन्य वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेने के लिए गारंटी दी थी.

इससे सभी को यह संदेश चला गया कि पैक्स के पास पैसे की कमी नहीं है. इससे धान खरीद में बीस हजार मीटरिक टन का उछाल आया है. राज्य में तीन लाख से अधिक किसानों ने अपना धान बेचने की इच्छा प्रकट की है.

कैबिनेट की बैठक (मंगलवार) तक राज्य में धान खरीद का प्रतिदिन का औसत 20 से 22 हजार मीटरिक टन (एमटी) था. विवाद- पैसे की कमी आदि विभिन्न कारणों से ढाई हजार से अधिक व्यापार समितियां नन एक्टिव थीं.

20 दिसंबर तक 6100 समितियों पर 2.37 लाख एमटी धान की खरीद हो सकी थी. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में लोन की गारंटी के प्रस्ताव पर मुहर लगते ही खरीद तेज हो गयी.

24 दिसंबर तक 5922 पैक्स और 280 व्यापार मंडलों (कुल 6202 समितियां) 47503 किसानों से 376857 मीटरिक टन (एमटी) धान की खरीद कर चुके हैं.

अच्छी खबर यह है कि 60 फीसदी भुगतान हो चुका है. सात जिलों ने 1404 एमटी धान (सीएमआर) एसएफसी को जमा करा दिया है. बीते साल इस तारीख तक कुल 5500 समितियां मात्र 15000 एमटी धान ही खरीद कर पायी थीं.

खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ेगी

धान खरीद की प्रगति और उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों के त्वरित निस्तारण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में लगातार बैठकें हो रही हैं. 22 दिसंबर को भी सीएस ने बैठक की थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में कुल 8463 समितियां (पैक्स-व्यापार) हैं.

विवाद- बजट आदि के कारण नन एक्टिव 2261 समितियों में से एक हजार समितियों के किसानों को अन्य समितियों से टैग (जोड़) कर दिया गया है. इससे वह धान बेच पा रहे हैं. चिह्नित 734 पैक्स से 100 पैक्स के विवाद को खत्म कर दिया गया है.

अब ये भी धान की खरीद करेंगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धान खरीद केंद्रों की संख्या 7000 करने की रणनीति बनायी है, ताकि लक्ष्य पूर्ति के साथ- साथ किसानों को भी सहूलियत मिल सके.

खाता आधार से लिंक नहीं होने पर पैसा लौटा

सरकार तक पुराने मामले भी पहुंच रहे हैं. गुरुवार की दोपहर को मुजफ्फरपुर के मोतीपुर ब्लाॅक क्षेत्र गांव बुलबुलवा निवासी मृत्युंजय कुमार सहकारिता मंत्री के दफ्तर पहुंचे. वर्ष 2018- 19 में उनके 450 डिसमिल में धान की फसल बर्बाद हो गयी थी.

कुमार की शिकायत थी कि बीमा कराया था. करीब 20 हजार रुपये खाता में पहुंचा था, लेकिन बैंक खाता आधार से लिंक नहीं था. इससे वह पैसा लौट गया. आवेदन किया ,लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह नीतिगत मामला बन गया है. इस पर सरकार के स्तर से ही निर्णय होना है. इस संबंध में पीड़ित ने मंत्री के यहां अपना आवेदन दिया है.

Posted by Ashish Jha

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