Dengue: पटना में मच्छरों ने खुद को किया मजबूत, डेंगू के मामलों के कारण बढ़ायी गयी फॉगिंग में केमिकल की मात्रा
Dengue ka Prakop वीआइपी इलाके में रोजाना दवा का छिड़काव होता है. जबकि अन्य इलाके में दवा का छिड़काव के लिए रोस्टर बना है. दवा का छिड़काव सही से नहीं होने से मच्छरों पर प्रभाव नहीं पड़ रहा है.
पटना अंचल क्षेत्र में मच्छरों को मारने के लिए फॉगिंग में डाले जाने वाले केमिकल का असर नहीं हो रहा है. खास कर अंचल अशोक नगर, पत्रकार नगर, हनुमान नगर, कुम्हरार आदि बड़े मुहल्ला क्षेत्र के मच्छरों ने केमिकल टेक्निकल मेलाथियान के खिलाफ खूद को मजबूत बना लिया है. वहीं, नगर निगम को आ रही लगातार शिकायतें और इन क्षेत्रों में बढ़ रहे डेंगू के मामलों के बाद अब नगर निगम की ओर से फॉगिंग में डाले जाने वाले केमिकल की मात्रा बढ़ा दी गयी है.
निगम की ओर से अब इन क्षेत्रों में 10 लीटर डीजल में एक किलो टेक्निकल मेलाथियोन को मिलाया जा रहा है, जबकि शहर के अन्य क्षेत्र में 25 लीटर डीजल में एक से सवा किलो टेक्निकल मेलाथियोन डाल कर फॉगिंग की जाती है. मच्छरों का प्रकोप रोकने के लिए एंटी लार्वा दवा का छिड़काव करने के निर्देश दिये गये हैं, लेकिन रेगुलर दवा का छिड़काव नहीं होने से लोग परेशान हैं. वीआइपी इलाके में रोजाना दवा का छिड़काव होता है. जबकि अन्य इलाके में दवा का छिड़काव के लिए रोस्टर बना है. दवा का छिड़काव सही से नहीं होने से मच्छरों पर प्रभाव नहीं पड़ रहा है.
अन्य अंचलों में भी दवा के छिड़काव का बना रोस्टर बांकीपुर अंचल में पांच गाड़ी व 12 हैंड फॉगिंग मशीन हैं. हैंड फॉगिंग मशीन का उपयोग लोगों की शिकायत पर संबंधित जगह पहुंच कर दवा का छिड़काव करता है. पाटलिपुत्र अंचल में छह टेम्पू वाली गाड़ी व 12 हैंड मशीन, नूतन राजधानी अंचल में सात टेम्पू वाली गाड़ी व 16 हैंड मशीन है. टेम्पू वाली गाड़ी से दवा का छिड़काव के लिए रोस्टर बना है.
रोजाना 50 किलो दवा का हो रहा इस्तेमाल
कंकड़बाग अंचल में नौ टेम्पू वाली गाड़ी व 11 हैंड फॉगिंग मशीन है. इसमें हैंड मशीन तीन-चार खराब हैं. सूत्र की मानें तो कंकड़बाग अंचल को पांच गाड़ी अतिरिक्त मिली है. कंकड़बाग इलाके में डेंगू का मच्छर अधिक बढ़ने से सिविल सर्जन कार्यालय से सूचित किये जाने वाले इलाके में दो शिफ्टों में दवा का छिड़काव हो रहा है. रोजाना 50 किलो दवा का इस्तेमाल हो रहा है.
डेंगू से बचना है तो खुद की सावधानी है बहुत जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि सिर्फ फॉगिंग के भरोसे रहने पर डेंगू से छुटकारा नहीं मिल पायेगा. इससे बचने के लिए खुद से सावधान होने की जरूरत है. गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि फॉगिंग में एक लीटर पायरेथ्रियम और कुछ अन्य केमिकल मिलाये जाते हैं. पायरेथ्रियम सहित कुल छह तरह के केमिकल मिलाये जाते हैं. उन्होंने बताया कि डेंगू से सुरक्षित रहने के लिए अपने स्तर से बचाव करना सबसे बेहतर उपाय हो सकता है.
डेंगू के मच्छर दिन के समय में अधिक काटते हैं. ऐसे में पूरी आस्तीन वाले कपड़ों को पहनें. डेंगू के मच्छर आम तौर पर स्थिर और साफ पानी में प्रजनन करते हैं, इसलिए मच्छरों को बढ़ने से रोकने के लिए पानी एकत्रित न होने दें. सप्ताह में कम से कम एक बार खाली कंटेनर, फूलदान, कूलर आदि से पानी निकालकर उन्हें साफ जरूर कर ले
Posted by: Radheshyam Kushwaha