बिहार से सबसे अधिक सऊदी जा रहे कामगार, ओमान, कुवैत और बहरीन भी दे रहा रोजगार
जाने वाले ये सभी कामगार बिहार के मूल निवासी हैं और पटना पासपोर्ट ऑफिस से जारी पासपोर्ट पर बाहर गये हैं, लेकिन ये सभी सीधे पटना से बाहर नहीं जाकर इनमें से कई राजस्थान तो कई चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे जगहों से अपने एजेंटो के माध्यम से इन खाड़ी देशों में गये हैं.
अनुपम कुमार, पटना. बिहार से सबसे अधिक कामगार सऊदी अरब जा रहे हैं. इसीआर पासपोर्ट पर इस वर्ष अब तक विदेश जाने वालों की कुल संख्या 49 हजार 536 रही. इनमें से 25 हजार 875 सऊदी अरब गये, जबकि कतर जाने वालों की संख्या 5947 और संयुक्त अरब अमीरात जाने वाले लोगों की संख्या 5467 रही. ओमान, कुवैत और बहरीन संख्या की दृष्टि से क्रमश: चौथे, पांचवें और छठे स्थान पर रहे.
इराक जाने वालों की संख्या एक हजार से भी कम
जॉर्डन, इराक और अन्य खाड़ी देशों को जाने वालों की संख्या इस दौरान एक हजार से भी कम रही. जाने वाले ये सभी कामगार बिहार के मूल निवासी हैं और पटना पासपोर्ट ऑफिस से जारी पासपोर्ट पर बाहर गये हैं, लेकिन ये सभी सीधे पटना से बाहर नहीं जाकर इनमें से कई राजस्थान तो कई चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे जगहों से अपने एजेंटों के माध्यम से इन खाड़ी देशों में गये हैं.
इसीआर पासपोर्ट पर जाने वालों की संख्या
देश जाने वाले
-
सउदी अरब 25875
-
कतर 5947
-
संयुक्त अरब अमीरात 5467
-
ओमान 4478
-
कुवैत 3782
-
बहरीन 2023
-
जार्डन 751
-
इराक 281
अब तक डेढ़ लाख बिहारियों ने की विदेश यात्रा
इस वर्ष अब तक डेढ़ लाख बिहारियों ने बाहर के देशों की यात्रा की है. इनमें 49 हजार लोग इसीआर पासपोर्ट पर बाहर गये हैं. इनमें अधिकतर कामगार हैं, जिन्होंने मैट्रिक से कम शिक्षा ग्रहण की है और शारीरिक श्रम वाली नौकरी (ब्लू कॉलर जॉब) करने खाड़ी देशों को गये हैं. जबकि लगभग एक लाख लोगों ने इसीएनआर पासपोर्ट पर यात्रा की है औरविदेश घूमने, उच्च शिक्षा ग्रहण करने या विशिष्ट दक्षता वाले पदों पर नौकरी (व्हाइट कॉलर जॉब) करने के लिए गये हैं.
दो तरह के पासपोर्ट
-
इसीआर (इमीग्रेशन चेक रिक्वायर्ड) पासपोर्ट : 10वीं से कम शैक्षणिक योग्यता रखने वाले लोगों को यह पासपोर्ट जारी किया जाता है. ऐसे लोगों का लेखा जोखा रखा जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर इनकी मदद की जा सके.
-
इसीएनआर (इमीग्रेशन चेक नॉट रिक्वायर्ड) पासपोर्ट: मैट्रिक पास या उससे ऊपर की शिक्षा ग्रहण किये लोगों का यह पासपोर्ट बनाया जाता है. इस पर यात्रा करने वालों का विदेश मंत्रालय विशेष लेखा- जोखा नहीं रखती है.
कोरोना से पहले दो लाख जाते थे विदेश
कोरोना से पहले विदेश दो लाख के आसपास जाते थे. इनमें 60-65 हजार के आसपास इसीआर पासपोर्ट पर जाने वाले कामगारों की संख्या होती थी, जबकि 1.20 लाख से 1.30 लाख इसीएनआर पासपोर्ट पर जाते थे. कोरोना के बाद इस वर्ष फिर से दो लाख के आसपास यह संख्या पहुंच जाने की संभावना है.
फिटर, वेल्डर को भी मिलते हैं डेढ़ से दो लाख
अधिकतर कामगारफिटर, वेल्डर व इलेक्ट्रिशियन जैसे काम के लिए खाड़ी देश जाते हैं. ड्राइविंग भी बिहार के लोग वहां बड़ी संख्या में करते हैं. जो बिपढ़े-लिखे नहीं हैं, वे निर्माण मजदूर और हेल्पर का काम करते हैं. ऐसे कामों के भी वहां डेढ़ से दो लाख रुपये तक मिलते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी तविशि बहल पांडेय कहती हैं कि सऊदी अरब जाने वाले लोगों की अधिक संख्या को देखते हुए हमलोगों ने पुलिस क्लीयरेस सर्टिफिकेट (पीसीसी) बनाने की रफ्तार तेज कर दी है. पहले हर दिन 200 पीसीसी बनाते थे. अब बढ़ा कर 1200 प्रतिदिन कर दिया गया है, ताकि वहां जाने वाले बिहारियों को समस्या नहीं हो. वहां लोगों से यह सर्टिफिकेट मांगे जाने की सूचना हमें मुंबई काउंसुलेट से मिली थी.