राजस्व ग्रामों में 11 हजार रैयतों ने जमा की जमीन विवरणी

राज्य सरकार के निर्देश के बाद पूर्वी चंपारण में भूमि सर्वे का काम राजस्व शिविर के बाद तेज हो गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 13, 2024 10:04 PM

मोतिहारी.राज्य सरकार के निर्देश के बाद पूर्वी चंपारण में भूमि सर्वे का काम राजस्व शिविर के बाद तेज हो गया है. करीब 1200 गांवों में भूमि सर्वे शिविर का आयोजन किया गया, जो वर्तमान में प्रत्येक अंचल में जारी है. सर्वे शिविर के बाद करीब 11 हजार रैयतों ने अपने जमीन की विवरणी अंचल शिविर में जमा कराया है. वहीं 800 लोगों ने वंशावली भी दी है. आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 20 लाख खेसरा है, जो एक-दो टुकड़ें में बंटे भी होंगे. अगर उसे जोड़ा जाए तो यह संख्या करीब 50 लाख पहुंच जाएगी. इधर सर्वे कागजात के लिए रिकॉर्ड रूम से लेकर निबंधन कार्यालय व अंचल कार्यालय तक रैयतों के पसीने छूट रहे हैं. कहीं-कहीं उन्हें कागजात निकालने के लिए मोटी रकम भी चुकता करनी पड़ रही है. सर्वे कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सभी अंचलों में शिविर कार्यरत है, जहां रैयत अपनी कागजात जमा कर रहे हैं. इन रैयतों में बेतिया राज, भूदान आदि की जमीन की भी जांच की जा रही है. अगर कोई इसे दखल-कब्जा में रखा है और पुख्ता कागजात 1884 से 1914 तक के आसपास नियमानुसार नहीं है, तो उन्हें मुक्त करना पड़ सकता है. सरकारी अधिकारियों से मांगा गया जमीन का विवरण

जिले के अंचल, प्रखंड से लेकर अनुमंडल व जिला स्तर के अधिकारियाें से उनके अधीन कितने जमीन है, इसकी विवरणी भी सर्वे कार्यालय द्वारा मांगी गयी है, ताकि पता चल सके कि उक्त जमीन सुरक्षित है या कोई गलत ढंग से कब्जा कर लिया है. इधर जमीन की विवरणी तैयार करने में विभागीय अधिकारी व कर्मियों के भी पसीने छूट रहे हैं. बंजरिया के कुछ भाग को नगर निगम में शामिल किया गया है.

जमीन की जमाबंदी रैयत के पास जरूरी

जमाबंदी एक प्रकार का मैनेजमेंट सिस्टम है, जिसके द्वारा भूमि के बारे में जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है. जमाबंदी का इस्तेमाल पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, मणिपुर जैसे राज्यों में किया जाता है. इन राज्यों में भूमि अभिलेखों को जमाबंदी कहते हैं. जमाबंदी रजिस्टर में मालिक का नाम, प्रॉपर्टी का साइज, ऑनरशिप हिस्सेदार व अन्य अधिकारों के बारे में जानकारी मौजूद होती है.

छठ व दीपावली तक पहुंचेंगे परदेशी रैयत

सर्वे को लेकर जिले से बाहर दूसरे प्रदेश में काम के तलाश में गये लोगों के बीच भी बेचैनी बरकरार है, जो अपने नाते-रिश्तेदारों से जमीन सर्वे कागजात निकालने को आग्रह व विनती कर रहे हैं. कुछ नाते-रिश्तेदार भी समय की कमी बता व अपना कागजात निकालने की बात कहकर कन्नी काट रहे हैं. ऐसे में दूसरे प्रदेश में रहने वाले लोग छठ व दीपावली के समय लंबी छुट्टी पर आकर अपनी कागजात निकाल जमा करेंगे. वैसे पूछने पर विभागीय सूत्रों का कहना है कि अंतिम तिथि कागजात जमा करने की 30 सितंबर है. वैसे कई चरणों में इसके कागजात जमा हो सकते हैं.

जमा कागजात का राजस्व वार होगा प्रकाशन

जो भी रैयत जमीन की दावेदारी को लेकर कागजात व वंशावली दे रहे हैं, उसका प्रकाशन अंतिम रूप से राजस्व ग्राम व पंचायतवार होगा. प्रकाशन में दावा-आपत्ति के बाद निराकरण होगा. निराकरण के बाद फिर सूची प्रकाशित की जाएगी. फिर सूची में अगर गलती होती है तो उसका भी सुधार होगा. रैयतों को तीन बार अपील का अधिकार मिलेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version