इन्तेजारूल हक,मोतिहारी. मानव तस्करों के लिए पूर्वी चंपारण जिला व खासकर भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र सुरक्षित इलाका बनता जा रहा है. तस्करों की सक्रियता शहर से लेकर गांवों तक बढ़ी हुई है और वे मासूम लोगों को अपने झांसे में ले इस जघन्य करतूत को अंजाम दे रहे हैं. बच्चों व बच्चियों को देश के विभिन्न महानगरों के लिए भेज रहे हैं जहां उनका शारीरिक व मानसिक शोषण किया ही जाता है. हाल के दिनों में उनकी सक्रियता इतनी यहां बढ़ गयी है कि उनपर रोकथाम के लिए काम करने वाली एजेंसियों की नींद हराम हो गयी है. बीते छह माह के अन्दर 17 लड़कियों को विमुक्त कराया गया है. वहीं दो दर्जन से अधिक बच्चे भी उनके चंगुल से आजाद कराये गये हैं. आधा दर्जन के करीब तस्करों पर मुकदमा हुआ है और उनपर कार्रवाई की गयी है. दो तस्कर गिरफ्तार भी किये गये हैं. ट्रेनों से भी उतारे जा चुके हैं बच्चे
हैंडसम सैलरी वाली नौकरी का लड़कियों को मिलता है झांसा
ट्रैफिकिंग की शिकार लड़कियों को हैंडसम सैलरी वाली नौकरी का झांसा देकर तस्कर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं. उसके बाद पहले नेपाल ले जाते हैं,जहां उन्हें अनैतिक कार्यों के लिए पहले मजबूर किया जाता है और फिर जब तैयार नहीं होती हैं तो उन्हें तय रकम के साथ बेच दिया जाता है. जानकार बताते हैं कि और कई रूह को कंपा देने वाले काम उनसे कराये जाते हैं.
चाइल्ड लाइन के अतिरिक्त कई एजेंसिया कर रहीं काममावन तस्करों पर नजर रखने लिए चाइल्ड लाइन सहित कई सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं. रेलवे स्टेशन पर जीआरपी के सहयोग से बच्चों को उतारा जाता है. वहीं सीमा पर एसएसबी के साथ प्रयास जुबेनाइल एड सेंटर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है. इनके सहयोग से तस्कर भी लगातार पकड़े जा रहे हैं.
कहते हैं अधिकारी-जागरूकता की कमी है. इंडो नेपाल सीमा पर तस्करों की गहन निगरानी की जा रही है. सूचना मिलने के साथ टीम अपने दायित्वों का निर्वहन करती है.
विजय कुमार शर्मा,प्रयास जुबेनाइल एड सेंटरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है