पुस्तैनी जमीन का नहीं हुआ है रजिस्टर्ड बंटवारा, तो बनेगा संयुक्त खतियान

पारिवारिक बंटवारे का भी रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर बंटवारा मौखिक हुआ है, तो संयुक्त खतियान बनेगा. सर्वे के दौरान जमीन बदलने का मौखिक समझौता मान्य नहीं होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | September 2, 2024 10:13 PM
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मोतिहारी.पारिवारिक बंटवारे का भी रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर बंटवारा मौखिक हुआ है, तो संयुक्त खतियान बनेगा. सर्वे के दौरान जमीन बदलने का मौखिक समझौता मान्य नहीं होगा. समझौता का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर पास में जमीन बदलने का रजिस्टर्ड दस्तावेज है. तब ही आपके नाम से खतियान बनेगा. समझौता रजिस्टर्ड नहीं होने की स्थिति में मूल मलिक के नाम से ही खतियान बनाया जायेगा. पारिवारिक बंटवारे का भी रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है. अगर बंटवारा मौखिक हुआ है, तो संयुक्त खतियान बनेगा. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्व घोषणा के समय अपनी जमीन का रकवा, चौहद्दी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद का फोटो कॉपी, खतियान का नकल आदि दस्तावेज देना है. अगर ऑनलाइन रसीद कट रहा है तो रसीद देना है. अमीन स्थल पर मापी कर नक्शे में प्लॉट को अलग-अलग करेंगे सर्वे कार्यालय के पास एरियल सर्व का जो नक्शा है, उसमें बगीचों के पास वाले कई प्लॉट्स को एक दिखाया गया है. सर्वे के दौरान अमीन स्थल पर मापी कर नक्शे में प्लॉट को अलग-अलग करेंगे, इस दौरान जमीन मालिक को जमीन पर रहना जरूरी होगा. जमीन की मापी की जिम्मेदारी रैयतों की निर्धारित की गयी है. स्व घोषणा के बाद अमीन जमीन की मापी करेंगे, जमीन मालिक को दखल कब्जा की जानकारी देनी होगी. जमीन पर सही दखल कब्जा मिलने से सही खतियान बनाने में मदद मिलेगी. रैयत को तीन बार अपील का मिलेगा मौका कागजात की जांच एवं जमीन की मापी के बाद रैयत को खतियान मिलेगा, नये खतियान में खेसरा नंबर बदला रहेगा, प्लॉट का नक्शा भी मिलेगा, किसी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में अपील की जानी है. समस्या को ठीक कर अधिकारी प्रपत्र 12 जारी करेंगे. इसमें भी गड़बड़ी है तो प्रपत्र 14 से फिर अपील करने पर सुधार र की जा सकेगी, फिर भी सुधार नहीं हो, तो प्रपत्र 21 से अपील करनी होगी. मूल मालिक नहीं मिलने पर होगी सरकार की जमीन ऐसी जमीन जो आपकी जोत में है, लेकिन मल्कियत से संबंधित कोई कागजात आपके पास नहीं है. ऐसे में जमीन के मूल मलिक की खोज होगी, खोज में मूल मलिक के नहीं मिलने पर, जमीन बिहार सरकार की घोषित की जा सकती है. ऐसे में सरकारी जमीन हड़पने वाले के पसीन छूट रहे हैं जो उक्त भूमि पर मकान बना लिए हैं.

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