मोतिहारी.स्कूल जाने वाले बच्चे के सामने होमवर्क, अच्छे मार्क्स लाने और परीक्षा देने जैसी चुनौतियां ही नहीं होती. इनके अलावा और भी कई चीजें हैं जो बच्चे को परेशान कर सकती हैं. होमवर्क, परीक्षा आदि तो सकारात्मक चुनौतियां हैं जो बच्चे के भविष्य को संवारने में मदद करती हैं लेकिन बुली से पीड़ित होने की स्थिति इसके उलट उसका वर्तमान और भविष्य दोनों बिगाड़ सकती है. रफ्तार से भरे दौर में जिस तेजी से संवेदनाएं खत्म हो रही हैं वहां बुली करने वाले लोग और ऐसी स्थितियां अब पहले से और अधिक बिगड़े स्वरूप में सामने आ रही हैं. शरीर के आकार, रंग-रूप, आर्थिक या पारिवारिक स्थिति, आदि जैसे कई पहलू हैं जिनको लेकर बच्चे को बुली किया जा सकता है. बुली करना यानी सामान्य भाषा में समझें तो किसी को परेशान करना, सताना, प्रताड़ना देना या दुर्व्यवहार करना. स्कूलों में आजकल इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं और परेशान करने के तरीके पहले की तुलना में अधिक हिंसक होते जा रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि अगर बच्चा इसका शिकार हो रहा है तो उसको समय पर मदद मिले.
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जिंदगियों में मशीनीकरण व वर्चुअल दुनिया की हुई है घुसपैठ
विभाग की माने तो जिस तेजी से हमारी जिंदगियों में मशीनीकरण और वर्चुअल दुनिया की घुसपैठ हुई है, उसी तेजी से लोगों में भावनाओं और संवेदनाओं के स्तर में भी कमी आई है. इसका सबसे बुरा पहलू छोटे बच्चों में बढ़ती हिंसक घटनाओं और उनके व्यवहार में आये नकारात्मक परिवर्तन के रूप में सामने आ रहा है. स्कूलों में छोटी सी किसी बात को लेकर बच्चों में मार-पीट और दुर्व्यवहार आम होते जा रहे हैं. इन पर विचार करने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है