मौसम के शुष्क रहने का अनुमान, गेहूं व प्याज बुआई में बरतें सावधानी
मौसम पूर्वानुमान की अवधि 18-22 दिसम्बर में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते हैं.
मोतिहारी. मौसम पूर्वानुमान की अवधि 18-22 दिसम्बर में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते हैं. इस दौरान मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है. सुबह में हल्का कुहासा छा सकता है. पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 5-7 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की संभावना है.
गेहूं की पिछात किस्मों की बुआई जल्द संपन्न करें किसान
मौसम विभाग ने किसान भाई को सलाह दी है कि गेहूं की पिछात किस्मों की बुआई जल्द से जल्द संपन्न करें. गेहूं की पिछात किस्मों के लिए एचयूडब्लू 234, डब्लूआर 544, एच० आई० 1563, राजेंद्र गेहूं-1, एचडी 2967 तथा एचडब्लू 2045 किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुशसित है. प्रति किलोग्राम बीज को 25 ग्राम बेबीस्टीन की दर से पहले उपचारित करें. पुनः बीज को क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी दवा का 8 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. बुआई के पूर्व खेत की जुताई में 60 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम फॉसफोरस एवं 20 किलोग्राम पोटास प्रति हेक्टेयर डालें. जिन क्षेत्रों में फसलों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देती हो वैसे क्षेत्रों के किसान खेत की अन्तिम जुताई में जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें.
चना की बुआई अतिशीघ्र करें किसान
चना की बुआई अतिशीघ्र सम्पन्न करने का प्रयास करें. चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59 (उदय), केडब्लूआर 108, पंत जी 186 एवं पूसा 372 अनुशंसित है. बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव के लिए क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलोग्राम की दर से मिलायें. पुनः 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्चर (पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें.मक्का की फसल में करें निकौनी
अगात बोयी गयी मक्का की फसल में निकौनी एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. रबी मक्का की 50-55 दिनों की फसल में 5० किलोग्राम नत्रजन का उपरिवेशन कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें. फसल में नियमित रूप से कीट एवं रोग-व्याथी की निगरानी करें. प्याज की करें रोपाई लहसुन की निकौनी प्याज के 50-55 दिनों के तैयार पौध की रोपाई करे. इसके लिए खेत को समतल कर छोटी-छोटी क्यारियों बनायें. क्यारियों का आकार, चौड़ाई 1.5 से 2.0 मीटर तथा लम्बाई सुविधानुसार 3-5 मीटर रखे. प्रत्येक दो क्यारियों के बीच जल निकासी के लिए नाले अवस्य बनायें. पाँक्ति से पॉक्ति की दूरी 15 सेमी, पौध से पौध की दूरी 10 सेमी पर रोपाई करे. लहसुन की फसल में निकाई-गुराई करें तथा कम अवधि के अन्तराल में नियमित रुप से सिंचाई करें. लहसुन की फसल में कीट-व्याधि की निगरानी करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है