ढाका में इस्लामिक कॉलेज की स्थापना समय की मांग : मुफ्ती कासमी
ढाका जामिया ज़कारिया में छात्रों के हाफिज के कुरान होने के उपलक्ष्य में सालाना दस्तारबंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
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मोतिहारी.ढाका जामिया ज़कारिया में छात्रों के हाफिज के कुरान होने के उपलक्ष्य में सालाना दस्तारबंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. तालीम की अहमियत व उसकी रूहानियत पर विस्तार से उलेमाओं ने चर्चा की और कहा कि तालीम से ही समाज व राष्ट्र की पहचान होती है. प्रसिद्ध उलेमा मुफ्ती मुहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि ढाका में एक इस्लामी कॉलेज की स्थापना सख्त जरूरी है. लड़कियां गैर-इस्लामिक संस्थानों में पढ़ रही हैं जो उनकी नींव भी गैर-इस्लामी रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित है. इस अवसर पर हिफज करने की उत्कृष्टता प्राप्त करने वालों में हाफिज मुहम्मद सलमान बिन मुफ्ती मुहम्मद अहमद कासमी ढाका,हाफ़िज़ मुहम्मद इसरार बिन मुहम्मद एजाज चंदन बारा, हाफ़िज़ सादुल्लाह रब्बानी बिन मुहम्मद अली अकबर ज्योधरा, ,हफिज़ मुहम्मद शाहवेज़ बिन महमूद अलम कंडवचैनपुर, हफिज़ मुहम्मद शाहिद आदि छात्रों की दास्तारबंदी की गयी. मौलाना कफील अहमद मजाहरी ने कहा कि शिक्षा को जीवित राष्ट्रों और सभ्य समाज की सर्वोच्चता का प्रतीक माना जाता है और धैर्य,विनम्रता,कृतज्ञता, ईश्वर का भय, दृढ़ संकल्प और स्वतंत्रता जैसी सबसे महत्वपूर्ण आदतें जीवन का अभिन्न अंग बन जाती है. मुफ्ती सनाउल्लाह मजाहेरी ने कहा कि सभ्यता,संस्कृति,सम्मान आदर, ईमानदारी,निष्ठा और उन सभी नैतिक व सामाजिक मूल्यों के बारे में सिखाते और शिक्षित करते हैं जो दुनिया में रहने वाले एक शांतिप्रिय व्यक्ति के पास होने चाहिए. मौलाना मतिउल्लाह मजाहेरी ने कहा कि अगर ये धार्मिक संस्थान और मदरसे न होते तो उम्मत के लिए इस्लाम धर्म का सही रूप खोजना मुश्किल हो जाता. मौके पर मुफ़्ती हसिबुल्लाह हबीबी,मुहिबुल हक खान, साजिद रजा,गुलरेज़ शहजाद, मौलाना अटाउलला माजाहेरी,क़ारी अनवर आदि मौजूद थे.
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