अमरेश वर्मा, मोतिहारी वैसे तो हर पिता की ख्वाहिश रहती है कि उसकी अर्थी को उसका बेटा कंधा दे, लेकिन अगर इसका उल्टा हो जाये तो उसे पिता का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा. शुक्रवार को ऐसी ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना मुजफ्फरपुर सदर थाना के दिघरा विशुनपुर गांव में घटी, जहां एक पिता के कंधे पर 14 साल बाद दूसरे बेटे की अर्थी निकली. दिघरा विशुनपुर के रहने वाले प्रमोद चौधरी ने कहा कि अब बेटों अर्थी को कंधा देते थक चुका हूं. 14 साल पहले छोटा बेटा रंजेश कुमार की बेगुसराय में सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी. एक बड़ा बेटा रविरंजन बुढापे का सहारा था, लेकिन दुश्मनों ने उसकी भी हत्या कर दी. इस बुढी काया में अब दूसरे बेटे की अर्थी को कंधा देने की ताकत नहीं बची. यह कहते हुए प्रमोद फफक-फफक कर रोने लगे. साथ आये रिश्तेदार उन्हें ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन उनकी आखों से आंसू थम नहीं रहा था. प्रमोद ने कहा कि किसी तरह छोटे बेटे की मौत का गम धीरे-धीरे कम हो रहा था. रविरंजन की हत्या के बाद पुराना घाव भी ताजा हो गया. सोचा था बुढापा रविरंजन के कंघे के सहारे कट जायेगा, लेकिन यह हसरत पूरी होने से पहले ही दुश्मनों ने उसे मौत के घाट उतार दिया. रविरंजन की मौत की खबर सुन उसकी पत्नी बेबी देवी मूर्छित हो गयी. उसके बच्चे मां से लिपट दहाड़ मार रो रहे थे. प्रमोद ने कहा कि बेटे की हत्या का दर्द तो दुसरी तरफ बेवा पतोहू व अनाथ हुए बच्चों का चेहरा हमसे देखा नहीं जायेगा. उनके पास कौन सा मूंह लेकर जाये. उनके सवालों का जबाव देने की हिम्मत हममे अब नहीं था. उन्होंने बताया कि रविरंजन को एक पुत्री रूपाली कुमारी व दो पुत्र हर्षबर्धन कुमार तथा आनंद बर्धन कुमार है. बेटी 18 साल की है, जबकि दोनों पुत्र 14 व 10 साल के है. रविरंजन की मां बच्ची देवी की मानों घरौंदा ही उजड़ गया. बुढापे में दो-दो जवान बेटे की अर्थी उठते जो उसने देखा.
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