मोतिहारी. पूर्वी चंपारण जिले के 103 विद्यालयों में शिक्षा विभाग द्वारा एक-एक कमरा निर्माण के लिए करीब साढ़े नौ करोड़ का टेंडर निकाला गया था, जिसमें गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद टेंडर को रद्द कर दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार हाई स्कूल में वर्ग कक्ष की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा टेंडर निकाला गया. एक वर्ग कक्ष के निर्माण पर नौ लाख तीन हजार खर्च का प्राक्कलन था. विभाग की माने तो टेंडर अल्पकालीन था. अधिकांश टेंडर लेने वाले संवेदक शिक्षा विभाग में बेंच-डेस्क, एमडीएम, चापाकल व रंग-रोगन वाले वेंडर ही अपरोक्ष रूप से ठेकेदार बन गये थे. विभाग की टीम भी कम चालाक नहीं निकली, जिसने निविदा में प्राक्कलित राशि 10 लाख से नीचे होने के बावजूद बीओक्यू राशि 1250 के बजाए 2500 रुपये रखा, जो नियम विरूद्ध था. इसमें तकनीकी टीम गठित की गयी थी. ऐसे में सवाल उठता था कि वेंडर को अपरोक्ष रूप से टेंडर देने और 1250 की जगह 2500 रुपया बीओक्यू रखने की जरूरत समिति को कैसें पड़ी, यह सघन जांच का विषय है. समिति में कौन-कौन लोग थे और उनकी क्या भूमिका थी, इसकी भी जांच की मांग लोग कर रहे है. इधर विभाग गड़बड़ी अपरोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए कह रही है कि टेंडर रद्द कर दिया गया है. इधर पूछने पर डीइओ संजीव कुमार ने बताया कि अपरिहार्य कारणों से टेंडर रद्द कर दिया गया है. जानकार बताते है कि इस टेंडर के पीछे विभागीय समिति व वेंडर के ताल-मेल का खेल सामने आ रहा है. स्कूलों में बेंच-डेस्क क्रय समिति द्वारा नियमानुसार बेंच-डेस्क संवेदक से लिया गया है. प्रत्येक स्कूल में चापाकल, बोरिंग में प्रधान शिक्षक की भूमिका, बच्चों के एमडीएम के लिए थाली खरीद, चुनाव के समय प्रत्येक विद्यालयों के रंग-रोगन व सामान मरम्मत के लिए आवंटित एक से डेढ़ लाख रुपया के खर्च के मुद्दे को लोग डीएम से जांच कराने की मांग लोग कर रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है