अप्रैल में जून जैसी गर्मी, लोगों के सूख रहे हलक
अप्रैल का अभी तीसरा सप्ताह है, लेकिन गर्मी चरम पर है. अमूमन इस तरह की गर्मी मई-जून में महसूस की जाती थी.
मोतिहारी.अप्रैल का अभी तीसरा सप्ताह है, लेकिन गर्मी चरम पर है. अमूमन इस तरह की गर्मी मई-जून में महसूस की जाती थी. शनिवार सुबह से ही उमस और पसीना से निहाल जीवन जगत के सामने बचाव का कोई उपाय नहीं सूझ रहा है. अधिकतम 42 डिग्री तापमान से घर की छत और दीवार तपने लगी है. भीतर तपन की और बाहर त्वचा को जला देने वाले मौसम से जनमानस आकुल व्याकुल नजर आ रहे हैं. सूरज की तेज किरणें और गर्म हवाओं के थपेड़े सब के लिए परेशानी का कारण बन चुका है. मानव जीवन हो या जीव-जंतू सभी भीषण गर्मी से व्याकुल है. बापूधाम रेलवे स्टेशन, छतौनी बस स्टैंड, बैंक रोड, मीना बाजार सहित अन्य ऐसी जगहों पर प्यास बुझाने के लिए लोग कोल्ड ड्रिंक व बोतल बंद पानी का सहारा लेते देख रहे है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसान व मजदूरों का और भी बुरा हाल है. गेहूं की कटनी व दवनी भी प्रभावित है. कटनी के लिए मजदूर नहीं मिल रहे. मिल भी रहे हैं तो खेतों में पसीना से तरबतर हो जा रहे हैं. ऐसे में लू लगने की संभावना बढ़ जाती है.डॉक्टर बताते हैं कि ब्रेन में हाइपथैलेम्स पार्ट होता है, जो शरीर के तापमान 95 से 98 के बीच कंट्रोल रखता है. जब हिट की वजह से हाइपथैलेम्स होने लगता है तो बॉडी का तापमान बढ़ जाता है. इससे चिकित्सा भाषा में लू लगना कहा जाता है. जब तापमान बढ़ता है तो शरीर से भी गर्मी को बाहर निकालना जरूरी होता है. आमतौर पर यह पसीने के माध्यम से बाहर निकलती है. जब सनस्टोक होता है, तब यह हैंपर कर जाता है. इस कारण हाईग्रेड फीवर होता है, जो जानलेवा भी हो सकता है. साथ ही चक्कर आना, अत्याधिक प्यास लगना, कमजोरी, सरदर्द और बेचैनी इसके मुख्य लक्षण है. इसका इलाज तुरंत ठंडक देने व पानी की कमी को दूर करना है.