गहरे अनुभव और अवलोकन का माध्यम है शारीरिकता का अध्ययन: प्राे. ग्रिट

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के बृहस्पति सभागार में चल रहे तीन दिवसीय व्याख्यान और कार्यशाला कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को जारी रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | August 20, 2024 10:24 PM

मोतिहारी.महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के बृहस्पति सभागार में चल रहे तीन दिवसीय व्याख्यान और कार्यशाला कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को जारी रहा. कार्यक्रम प्रधान संरक्षक कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव और संरक्षक प्रो. प्रसून दत्त के मार्गदर्शन और डॉ. श्वेता के संयोजन में आयोजित हुई. ””चलते शरीर, चलते मन, नृविज्ञान को सजीव करने का अभ्यास”” विषयक कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में प्रो. कोएलट्ज ग्रिट की उपस्थिति रही. प्रो. ग्रिट ने अपने वक्तव्य में कहा कि नृविज्ञान में शारीरिकता का अध्ययन मात्र एक शारीरिक अभ्यास नहीं है बल्कि यह एक गहरे अनुभव और अवलोकन का माध्यम है. शरीर एक ऐसा स्थान है जहां संस्कृति, भावना और समाज की विभिन्न परतें मिलती हैं. जब हम अपने शरीर को समझते हैं तो हम अपने समाज और संस्कृति को भी बेहतर तरीके से समझ पाते हैं. उन्होंने संगीत, नृत्य धारणाओं और शारीरिक अनुभूतियों के महत्व पर भी प्रकाश डाला और बताया कि ये तत्व कैसे हमारे शरीर और मन को प्रभावित करते हैं. डॉ स्वेता ने अपने विचारों को साझा करते हुए ””दुनिया में अपने शरीर को कैसे देखते हैं और इस दृष्टिकोण से नृविज्ञान को कैसे समझ सकते हैं”” पर प्रकाश डाला. डॉ मनीषा रानी ने कहा कि नृविज्ञान समाज का व्यवस्थित अध्ययन है, जिसमें हम विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करते हैं. कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ. उमेश पात्रा, डॉ. ओमकार पैथलोथ, डॉ. बबलू पाल, डॉ. अभय विक्रम सिंह आदि शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों की उपस्थिति थी.

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