रक्सौल. एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी त्रिशूली नदी में बहे बस का पता नहीं चल सका है. वहीं 43 यात्रियों का भी शव नहीं मिला है. अब पूरी तरह से यह अभियान भारतीय राहत बचाव कर्मी दल पर टीका है. नेपाल सरकार के द्वारा आधिकारिक तौर पर पत्र लिखकर मित्र राष्ट्र भारत से सहयोग की अपील की गयी है. जिसके बाद उम्मीद है कि आने वाले एक से दो दिन के अंदर भारतीय एनडीआरएफ की टीम नेपाल पहुंच सकती और इस खोज अभियान में अपनी महती भूमिका निभा सकती है. इधर, नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय के द्वारा हादसे की जांच के लिए गठित की गयी टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में लापता यात्रियों और बस की खोज के लिए नई तकनीक का उपयोग करने का सुझाव दिया है. वहीं सड़क विभाग के प्रमुख रमेश प्रसाद पौडेल ने बताया कि नारायणघाट से मुग्लिंग के बीच सड़क की भोगौलिक संरचना के कारण बार-बार इस तरह की परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि यह हादसा 900 मीटर की ऊंचाई से गिरे भूस्खलन के कारण हुआ है. तलाशी अभियान में शामिल नेपाल सशस्त्र पुलिस के एसपी माधव प्रसाद पौडेल ने बताया कि उनके पास जो तकनीक है, उससे अभी तक वाहन की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है. एसपी श्री पौडेल ने बताया कि घटना स्थल से 170 किलोमीटर की दूरी तक भी शव पाये गये हैं. नदी की भौगोलिक स्थिति के कारण वर्तमान तकनीक काम नहीं कर सकी और जिसके कारण अपेक्षित परिणाम नहीं आ सका. नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय के द्वारा गठित टास्क फोर्स के समन्वयक छवि रिजाल ने बताया कि तलाशी का काम तेजी से चल रहा है. उन्होंने कहा कि सभी इलाकों की मदद से सर्च ऑपरेशन जारी है. उन्होंने बताया कि मित्र राष्ट्र भारत की ओर से 21 तारीख तक आवश्यक सहायता मिलेने की संभावना है. उन्होंने बताया कि बस में करीब 65 लोग सवार थे, लेकिन वास्तविक संख्या अभी आनी बाकी है और उन्होंने कहा कि तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी.
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