नये कानून का विरोध करेंगे त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि
बिहार पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद भी प्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती की जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
मोतिहारी.बिहार पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद भी प्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती की जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. अधिकारों में कटौती में रोक को ले त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों की बैठक शशिभूषण राय उर्फ गप्पू राय की अध्यक्षता में आपात बैठक हुई. श्री राय ने कहा कि विगत कई वर्षों से अधिकारों में कटौती संवैधानिक संस्था को कमजोर करने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि पंचायत सरकार भवन, नल-जल योजना, बाल विकास परियोजना, रोगी कल्याण समिति आदि के अधिकारों में कटौती की गयी है. बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि एक तरफ सरकार का निर्देश है कि योजनाओं काे शीघ्र पूरा कर राशि शीघ्र खर्चा की जाए. वहीं दूसरी तरफ बंदिश लगायी जा रही है. एक अभिकर्ता को तीन योजना से अधिक नहीं करना है. संविदाकर्मी को अभिकर्ता नहीं बनाना है. भुगतान खाते में करना है. मुखिया व प्रमुखों को आवास योजना से वंचित कर कर्मी के माध्यम से आवंटन दिया जा रहा है, जो अनियमितता है. प्रतिनिधियों ने कहा कि बिहार सरकार को हरहाल में निविदा के प्रस्ताव को रद्द करना होगा, अन्यथा प्रतिनिधि सड़क से न्यायालय तक शरण लेंगे. उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने सांसद, विधायक, विधान पार्षद आदि से सदन की पटल पर रखने की मांग की, अन्यथा चुनाव में विरोध करने का निर्णय लिया गया. बैठक में जिप उपाध्यक्ष गीता देवी, जिप सदस्य, पंकज द्विवेदी, नूर आलम खां, नसीम अख्तर, दिलीप कुमार, विजय सिंह, सोनालाल साह, मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष शशिभूषण सिह, प्रमुख कुमारी रीना, अमित कुमार, महेश पासवान, धर्मेन्द्र कुमार, प्रेमशंकर यादव, फैजुल रहमान, किशोरी सहनी, सुनिल टाइगर, उपेन्द्र राय, राजीव रंजन सहित कई लोग थे.
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