मोतिहारी.पेड़ से आम की तुड़ाई के उपरांत बागों का प्रबंधन ही निर्धारित करेगा की अगले साल पेड़ पर कितने फल लगेंगे तथा उनकी गुणवक्ता कैसी होगी. एक भी कृषि कार्य या गतिविधि में देरी से बागवान को भारी नुकसान होता है और लाभहीन उद्यम हो कर रह जाता है . डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी विभागाध्यक्ष,पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी,प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह के अनुसार फलों की तुड़ाई के बाद, खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिए . रोगग्रस्त ,सुखी टहनियों की कटाई छंटाई एवं यदि संभव हो तो पेड़ का आकार छाते जैसा रक्खे. विगत दो तीन सालों से देखा जा रहा है की वातावरण में अत्यधिक नमी एवं अत्बधिक बरसात की वजह से आम के बागवान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कई बागों में सूर्य की किरणे जमीन की सतह तक नही पहुंच पा रही है . बाग बहुत घने हो गए है. अतः पेड़ की कुछ डालियों को काट कर इस तरह से बनाए की सूर्य की किरणे समान रूप से सभी टहनियों पर पड़े एवं बाग़ में जमींन तक पहुचे .ऐसी अवस्था में आवश्यक है की बीच बीच की टहनियों को निकाल दे,जिससे की रोशनी आसानी से आर पार हो सके.लगभग 30 से 35 डिग्री का तापक्रम एवं 80 प्रतिशत से अधिक नमी अधिकांश रोग एवं कीटो के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है.कटाई छंटाई करने से अधिक मंजर भी आते है एवं बाग से रोग एवं कीटों की जनसंख्या में भी भारी कमी आती है. कटाई छंटाई का महत्व कटाई से पेड़ की वृद्धि को एक मज़बूत संरचना विकसित करने के लिए मदद मिलती है, जबकि छंटाई में पेड़ के कुछ हिस्सों, जैसे शाखाओं, टहनियों या जड़ों को चुनिंदा रूप से हटाना शामिल है. कीट और रोग प्रबंधन के लिए कटाई छंटाई पेड़ के रोगग्रस्त या संक्रमित हिस्सों को हटाने में मदद करती है, जिससे कीटों और बीमारियों का प्रसार कम होता है. छतरी के आकार का प्रबंधन कटाई और रखरखाव में आसानी के लिए पेड़ को प्रबंधनीय ऊंचाई (3-4 मीटर) पर बनाए रखें, सबसे ऊंची शाखाओं को काटकर ऊंचाई कम करें.छंटाई के बाद, बीमारी फैलने से रोकने के लिए ब्लीच के घोल या रबिंग अल्कोहल से औजारों को कीटाणुरहित करें। बड़े कट के लिए, संक्रमण से बचाने के लिए घाव पर बोर्डो पेस्ट या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का गाढ़ा लेप लगाएं.
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