मोतिहारी. महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के द्वारा संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने की. कार्यक्रम के संरक्षक एवं अध्यक्षता कर रहे मानविकी एवं भाषा संकाय के अधिष्ठाता, गांधी भवन परिसर के निदेशक तथा विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है अपितु हमारे संस्कारों की निर्माता है. वेद, उपनिषद्, वेदांग, साहित्य, दर्शन, व्याकरण के साथ ही विज्ञान और धर्मशास्त्रों का जो विस्तृत वर्णन संस्कृत साहित्य में प्राप्त होता है. ऐसा विस्तृत एवं विशाल साहित्य अन्य किसी भी भाषा में नहीं प्राप्त होता है
संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ विश्वजित् बर्मन ने “गीतगोविन्दम् ” की सुमनोहारिणी प्रस्तुति दिया. बताया कि संविधान में भी संस्कृत भाषा के महत्व को देखते हुए स्थान दिया गया है.संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ बबलू पाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में संस्कृत की उपयोगिता को स्पष्ट करते हुए भारतीय समाज में संस्कार और परम्परा के लिए संस्कृत भाषा की महती उपयोगिता को समझाया.
शोधार्थी रीता राय ने सरस्वती वन्दना करके शुभारम्भ किया. तत्पश्चात् वरिष्ठ शोधार्थिनी पापिया गंड़ाई ने ध्येयमन्त्र किया. मनोरंजक रूप से राष्ट्रीय भावना को प्रेरित करने वाले “प्रियं भारती तत्सदा रक्षणीयम् ” गीत से शोधच्छात्रा रञ्जू यादव ने सभी के मन को आह्लादित किया तो वहीं एमए की छात्रा गुड़िया कुमारी ने मेघदूतम् गीतिकाव्य के कतिपय श्लोकों का सुमधुर वाचन किया.वहीं शोधच्छात्र विश्वनाथ छाटुई ने “आ जा सनम… ” संस्कृतानुवादित गीत की प्रस्तुति दी. संस्कृत दिवस समारोह में संस्कृत विभाग के सभी शोधार्थी एवं परास्नातक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.
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