शिवालयों में हर हर महादेव से गूंजा वातावरण
सावन मास की दूसरी सोमवार को जिले के विभिन्न शिवालयों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा पड़ा.
मोतिहारी.सावन मास की दूसरी सोमवार को जिले के विभिन्न शिवालयों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा पड़ा. शहर से लेकर गांव तक भारी संख्या में शिव भक्तों ने शिवालयों में भगवान भोले शंकर को जल चढ़ाया. इस दौरान हर-हर महादेव से शिवालय गूंज उठा. सुबह से ही शिवालयों में पूजा-अर्चना को ले भक्तों की भीड़ लगी रही. जिले में प्राचीन शिवालय अरेराज सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर, केसरिया स्थित केशरनाथ महादेव मंदिर, नागेश्वर नाथ महादेव मंदिर सहित शहर के नरसिंह बाबा मंदिर, पंच मंदिर, गायत्री मंदिर शिवालय, देवराहा बाबा मंदिर, चांदमारी दुर्गा मंदिर, कचहरी चौक जगदंबा मंदिर, नगर थाना परिसर शिवालय, अगरवा माई स्थान शिवमंदिर, बेलही देवी मंदिर सहित अन्य शिवालयों में श्रद्धालु भक्तों ने जलाभिषेक कर भगवान भोले शंकर से मन्नते मांगी. सावन माह के दूसरे सोमवार पर मंदिरों में ज्यादा ही श्रद्धालु भक्तों की भीड़ रही. लोगों ने शिवालय में शिव जी के लिंग पर दूध, जल से अभिषेक किया. शिवलिंगों को पुष्प, बेल पत्र, भांग, धतूरे से सजाकर महाआरती की गई. इस दौरान मंदिरों में घंटी, घडिय़ाल, शंख व झालर के बीच भोलेनाथ के उद्घोष से माहौल भक्तिमय बना रहा. मठ-मंदिरों में महामृत्युंजय के जाप शुरू हुए तो कई शिवालयों में रुद्राभिषेक किया गया. इधर श्रावण मास की दूसरे सोमवार को केशरनाथ महादेव मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं व कांवरियों का पूजा अर्चना व जलाभिषेक के लिए लंबी कत्तार लगी रही. करीब 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केसरनाथ को जलाभिषेक किया. श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर मंदिर कमेटी की ओर से बास का बला लगाकर विशेष व्यवस्था की गयी थी. सतरधाट स्थित गंडक नदी से से जलभर कर शिव भक्त आठ किलोमीटर की दूरी तय कर बोल बम का नारा लगाते हुए केसरनाथ मंदिर पहुंच कर कतारबद्ध होकर बाबा का जलाभिषेक किया. इसमें काफी संख्या में महिला, पुरुष, युवा व बच्चे भी शामिल थे.
सावन मास है शिव जी को अति प्रिय
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वेद विद्यालय के प्राचार्य सह पंडित सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि मास परम साधना का पर्व है. समस्त पृथ्वीवासियों को तृप्ति देने वाला श्रावण जैसा कोई दूसरा मास नहीं है. भारतीय मनीषियों ने सनातनीय द्वादश मासों के क्रम में पांचवें मास को श्रावण मास कहा है. यह श्रवण नक्षत्र से बना है. महर्षि पाणिनि कहते हैं कि पूर्णिमा में होने वाले नक्षत्रों के आधार पर ही चांद्रादि मास होते हैं. जिस महीने में श्रवण नक्षत्र में पूर्णिमा होती है, उसे ही श्रावण मास कहते हैं. ज्योतिषशास्त्र श्रवण नक्षत्र का स्वामी भगवान विष्णु को मानता है. कुछ विद्वानों के मत से सृष्टि का प्रारंभ जल से हुआ है और सावन मास जल की प्रधानता लिए हुए है. आकाश से बरसता हुआ जल अमृतसदृश ही होता है. वेद कहते हैं जल का एक पर्याय ‘नारा’ शब्द भी है और यह नारा जल जिसका घर है. वह विष्णु नारायण ही हैं अर्थात विधाता ने सर्वप्रथम जल का निर्माण किया. इस महीने भगवान विष्णु जगतपालन का अपना दायित्व भगवान शिव को समर्पित कर जल का आश्रय लेकर क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है