मोतिहारी.जिले के मोतिहारी सदर सहित रक्सौल, सिकरहना, अरेराज, पकड़ीदयाल में अनुमंडलवार कृषि क्लिनिक का संचालन जल्द ही शुरू होगा. डीएम की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमिटी ने छह आवेदकों का चयन इस योजना के लिए किया है. इनमें मोतिहारी सदर अनुमंडल में दो के अलावे अन्य चार अनुमंडल में एक-एक आवेदक चयनित किये गये है. जबकि चकिया प्रखंड के लिए एक भी आवेदक का चयन नहीं हुआ है. जिला पौधा संरक्षण विभाग संबंधित चयनित छह आवेदकों को शीध्र ही वर्क ऑर्डर जारी करेगा. इसको लेकर विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है. बताते चले कि राज्य सरकार के कृषि रोड मैप योजना के तहत सभी जिले में कृषि क्लिनिक खोलने की योजना है. वर्ष 2023- 24 में इस योजना के तहत पूर्वी चंपारण में कृषि क्लिनिक के 12 केंद्र खोलने को स्वीकृति मिली है. चूंकि जिले में छह अनुमंडल है. इसके लिए सभी अनुमंडल में दो-दो कृषि क्लिनिक खोलने की तैयारी है. इसके लिए कूल 35 लोगों ने ऑन-लाइन आवेदन किया. जिला स्तरीय डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की स्क्रीनिंग में अहर्ता पूरा करने वाले छह आवेदकों का ही चयन हुआ. इनमें एक आवेदक की योग्यता एमएससी एजी और अन्य पांच आवेदक बीएसी एग्रीकल्चर ग्रेजुएट है. पांच लाख लागत खर्च का 40 फीसदी मिलेगा अनुदान एक कृषि क्लिनिक खोलने के लिए पांच लाख की लागत में कृषि विभाग की ओर से 40 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था है. एक कृषि क्लिनिक खोलने के लिए राज्य सरकार की तरफ से दो लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी. सहायता राशि यानी 40 फीसदी का भुगतान दो किस्तों में किया जायेगा. कृषि क्लिनिक में किसानों को उनकी समस्याओं का सही और सटीक समाधान मिलेगा. अगर किसान के खेत में दवा के छिड़काव की जरूरत होगी, तो कृषि क्लिनिक के माध्यम से ही दवा का छिड़काव भी कराया जाएगा. कृषि क्लिनिक के माध्यम से सिर्फ दवा का छिड़काव ही नहीं इन केंद्रों में मिट्टी जांच से लेकर बीज विश्लेषन, कीट और रोग से संबंधित सुझाव और पौधा संरक्षण से संबंधित जानकारी किसानों को दी जाएगी. कहते हैं अधिकारी जिले के सभी छह अनुमंडल में दो-दो कृषि क्लिनिक खोलने की प्लानिंग है. इनमें पहले फेज में आवेदनों के स्क्रीनिंग के बाद छह आवेदक चयनित किये गये है. चयनित आवेदकों को वर्क ऑडर देने की प्रक्रिया चल रही है. इसके बाद चयनित आवेदकों को विभागीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जायेंगा, उसके साथ ही अनुदान के प्रथम किस्त की एक लाख रुपये की राशि मुहैया करायी जायेगी. सुशील सिंह, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण, पूर्वी चंपारण
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