लीची के बाग में बढ़ा स्टिंक बग व लीची माइट कीट ब्याधी का प्रकोप,चकिया में बाग सर्वेक्षण में मिले प्रमाण
लीची फलन में स्टिंक बग व लीची माइट कीट ब्याधी के प्रकोप भी बढ़ रहे है.
मोतिहारी. बारिश के बाद लीची फलन में लालिमा आनी शुरू हो गयी है. जिले की लीची तैयार होने के साथ कुछ दिनों में बाजार में पहुंचने लगेगा. लेकिन इसके साथ ही लीची फलन में स्टिंक बग व लीची माइट कीट ब्याधी के प्रकोप भी बढ़ रहे है. जिला पौधा संरक्षण सहायक निर्देशक सुशील कुमार के नेतृत्व में वैज्ञानिक टीम ने जिले के मेहसी व चकिया में लीची बाग का सर्वेक्षण किया. इस दौरान चकिया के तरनिया गांव के कृषक पप्पू सिंह सहित कई अन्य किसानों के करीब 3 एकड़ लीची के बाग का सर्वेक्षण किया. सर्वेक्षण में लीची फलन अच्छा होने क में स्टिंक बग व लीची माइट की शिकायत मिली. सर्वेक्षण के क्रम में लीची बगान में पेड़ पर स्टिंक का एवं लीची नाईट का आक्रमण देखा पत्तों एवं टहनियों पर स्टिंक बग के अंड समूह व निम्फ काफी संख्या में देखे गये. वही बाग में कुछ पेड़ में लीची माईट से प्रभावित पत्ते देखे गये. लीची माईट के कारण पत्ते मुड़ कर सूखते हुए और कुछ पत्ते मोटे या गद्दीदार पाये गये. विशेषज्ञों की टीम ने कृषकों को पौधा संरक्षण का सुझाव दिया. सर्वेक्षण टीम में पौधा संरक्षण पर्यवेक्षक मेहसी जयशंकर प्रसाद सहित अन्य उपस्थित थे. मेहसी, चकिया व कल्याणपुर में स्टिंक बग रहता है प्रभावि जिला पौधा संरक्षण पदाधिकारी सुशील कुमार सिंह ने कहा कि विगत वर्षों में मेहसी, चकिया, कल्याणपुर प्रखण्डो में स्टिक बग से क्षत्ति होने की सूचना प्रतिवेदित है. बग से दूसरे बग में इसका फैलाव तुरंत होता है. पूर्ण नियंत्रण के लिए सामूहिक रूप से सभी कृषकों द्वारा कीटनाशी का छिड़काव त्वरित रूप से किया जाना आवश्यक होता है, ताकि इसके फैलाव व आक्रमण को समय पर नियंत्रित किया जा सके. कहा कि स्टिंक बग आमतौर पर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में लीची के पेड़ो पर दिखाई देता है. अगस्त के अंतिम सप्ताह में बग बाग से गायब हो जाता है. मंजर आने के साथ ही वयस्क प्रजनन कार्य फरवरी के पहले सप्ताह से ही शुरू कर देते हैं. इनका जीवन चक्र औसतन 80 दिनो का होता है. ये हल्के भूरे रंग के होते हैं और इनके शरीर का नीचला भाग उजला होता है. इनकी लम्बाई 15-20 मी०मी० की होती है. वही सर तिकोना होता है. इनके निम्फस एवं प्रौढ़ तोड़े जाने पर दुर्गन्ध रसायन निकालते है। स्टिंक बग के व्यस्क और निम्फ दोनों लीची के कोमल हिस्सों यथा मंजर,फूल,डंठल व कोमल पत्ते का रस चूस लेते हैं फलस्वरूप फूल व फल काला होकर नीचे गिर जाता है. स्टिंक बग का प्रबंधन : इनके नियंत्रण के लिए आरम्भ यानी अंड समूह व निम्फ के पैदा होने के पूर्व हीं कीटनाशी का छिड़काव किया जाना आवश्यक होता है. जिला पौधा संरक्षण सहायक निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर के द्वारा इन दवाओं के छिड़काव की अनुशंसा की गयी है. इनमें थ्रीओक्लोप्रीड 21.7 प्रतिशत0.5 एमएल के साथ फिप्रोनील 5 प्रतिशत एससी 1.5 एमएल, एक्सीहलोथ्रीन 5 प्रतिशत इसी एक एमएल या ट्रीएजोफोस 40 प्रतिशत इसी 1.5 एमएल में से किसी एक रसायन का छिड़काव करने की अनुशंसा की गयी है. लीची माइट प्रबंधन : लीची माईट से प्रभावित टहनियों को हटा देना चाहिए और कोई भी एक मकड़ीनाशक यथा प्रापरजाईट 57 प्रतिशत इसी 2-3 मी०ली०/ली० या फेन प्रोक्सिमेट 5 प्रतिशत इसी 1 मी०ली०/ली० या इथियोन 50प्रतिशत इसी 2 मी०ली०/ली० या सल्फर 80 डब्लूपी का 3 ग्राम/ली० का छिड़काव करें. undefined
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