रक्सौल.14 साल की एक लड़की डंकन अस्पताल में भर्ती है. दुनिया में उसके एक कथित दादा व दादी हैं. लड़की का घर उसी समाज में है, जहां बेटी लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती है. लेकिन 14 साल की इस बच्ची ने इतनी कम उम्र में दुनिया के जो रंग देख लिये हैं, शायद ही कोई देख सके. उसके शोषण की शुरुआत उसके घर में सौतेले बाप से शुरू होती है और आज शारीरिक शोषण का शिकार होते-होते मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी सुहानी (बदला हुआ नाम) जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ चुकी है.
सुहानी की कहानी सामने तब आयी जब 16 नवंबर की सुबह सीमा की निगरानी कर रहे सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने लड़की को नशे की हालत में बॉर्डर के पास से रेस्क्यू किया. उस वक्त वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थी. एसएसबी ने शहर के कई स्वयं सेवी संस्थाओं से संपर्क किया, लेकिन खराब हालत को देखकर कोई उसे स्वीकार नहीं कर रहा था.
इस बीच, मानव तस्करी पर रोकथाम के लिए काम करने वाली संस्था स्वच्छ रक्सौल के अध्यक्ष रंजीत सिंह से संपर्क किया गया और उनकी पहल पर डंकन अस्पताल में भर्ती कराया गया. पांच दिनों तक गंभीर उपचार के बाद 21 नवंबर को सुहानी की हालत में सुधार हुआ है और वह अब बोल सकती है. रंजीत सिंह और उनकी टीम की सदस्य साबरा खातून लगातार नेपाल प्रशासन से संपर्क में हैं और उम्मीद है कि सुहानी को एक से दो दिन में नेपाल में किसी स्वयंसेवी संस्था को सौंप दिया जाएगा, जहां उसके नये जीवन के अध्याय की शुरुआत होगी.
नशे की हालत में मिली थी लड़की
रंजीत सिंह ने बताया कि जिस दिन उसे रेस्क्यू किया गया, वह नशे की हालत में थी. उसे नशीली दवा पिलायी गयी थी. होश में आने पर उसने बताया कि बस स्टैंड में वह सर दर्द की दवा लेने गयी, जहां उसे कोई अन्य दवा दी गयी. इसके बाद उसके साथ क्या हुआ कुछ भी पता नहीं. उसने बताया कि उसके पड़ोस की महिला उसे गलत तरीके से यूज किया, जिससे उसकी हालत दिन प्रतिदिन खराब होते चली गयी.
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