रक्सौल.नेपाल के मधेश प्रदेश में पर्यटन की काफी संभावना है. मधेश प्रदेश के हर जिले में जो ऐतिहासिक धार्मिक और पर्यटन स्थल है, उनके वृहत प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, ताकि नेपाल आने वाले भारतीय और दूसरे देश के पर्यटक मधेश की विरासत का अवलोकन कर सके. उक्त बातें मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने बुधवार को वीरगंज (नेपाल) के एक सभा हॉल में पर्यटन विकास कार्यालय वीरगंज पर्सा के द्वारा आयोजित जानो मधेश, घुमो मधेश कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होने ने कहा कि जनकपुर जहां माता सीता का जन्म हुआ है, उसे हम एक वेडिंग डेस्टिनेंशन के रूप में विकसित कर सकते हैं. आने वाले दिन में भारत के अयोध्या धाम से जनकपुर के बीच ट्रेन सेवा शुरू होनी है, इससे भी यहां पर्यटन का विकास होगा. साथ ही, उन्होंने कहा कि इसके अलावे मधेश प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों की एक डिजीटल लाइब्रेरी तैयार किये जाने की आवश्यकता है ताकि हम देश-विदेश के लोगों को मधेश के अलग-अलग जिले में स्थित गौरवशाली अतीत के स्मृतियों के बारे में लोगों को बता सके. इसके अलावा एशिया फेम के गढ़ीमाई मंदिर, ठोरी, दुधेश्वर महादेव मंदिर के साथ-साथ पर्सा राष्ट्रीय निकुंज (जंगल क्षेत्र) आदि के बारे में लोगों को बताने की आवश्यकता है. मधेश प्रदेश के पर्यटन मंत्री युवराज भट्टराई की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कई लोगों के द्वारा पर्यटन क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाओं के साथ-साथ भारतीय पर्यटकों को नेपाल लाने में किस प्रकार की सहुलियत दी जा सकती है, इसको लेकर अपने-अपने विचार रखें. सभा को संबोधित करते नेपाल में भारत के महावाणिज्यदूत डी एस मीणा ने कहा कि स्थानीय पर्यटन को बढ़ाना एक अच्छी बात है. कई सारे पर्यटन स्थल ऐसे है, जिनका भारत और नेपाल से सीधा संबंध है. अयोध्या के युवराज श्रीराम और जनक नंदनी सीता का विवाह दोनो देश के धार्मिक पर्यटन की एक साझा विरासत है. जनकपुर में न केवल बिहार, बल्कि यूपी और भारत के अलग-अलग इलाके से भी पर्यटक आ रहे हैं.
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