तीन दिवसीय संत सम्मेलन में देशभर से जुट रहे कबीर के अनुयायी

करीब डेढ़ सौ साल पुराने ऐतिहासिक कबीर आश्रम पर अनंत चतुर्दशी के अवसर पर होने वाले त्रिदिवसीय संत सम्मेलन सोमवार से आरंभ हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 16, 2024 10:12 PM

पीपराकोठी .प्रखंड क्षेत्र के करीब डेढ़ सौ साल पुराने ऐतिहासिक कबीर आश्रम पर अनंत चतुर्दशी के अवसर पर होने वाले त्रिदिवसीय संत सम्मेलन सोमवार से आरंभ हो गया. जो हर साल की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से आयोजित किया जा रहा है. सम्मेलन में पड़ोसी देश नेपाल, यूपी, मध्य प्रदेश सहित अन्य जगहों के कबीर पंथी संत महात्माओं का आने का सिलसिला आरंभ हो गया है. यह 18 सितंबर तक चलेगा. मुख्य समारोह 17 सितंबर को होगा. इसमें दूर-दूर से आये भक्त दीक्षा लेकर संत बनते हैं. इसकी सफलता को लेकर आश्रम के सन्तों के अलावा ग्रामीण व इलाके के प्रबुद्ध जन लगे हुए हैं. खासकर इस आश्रम परिसर में विश्व कबीर शांति स्तंभ स्थापित हैं जो संतों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस तरह का स्तंभ पूरे भारत में मध्य प्रदेश के सात जगह पर सरकार ने बनवाये हैं. मध्य प्रदेश को छोड़ केवल इसी स्थान पर ही ऐसा स्तंभ है. इस स्तंभ का निर्माण तत्कालीन महंत स्व. रामस्नेही दास ने 2002 में किया. यह आश्रम 1875 में तत्कालीन महंत स्व केशव साहेब ने स्थापित किया. इस स्तंभ के अलावा अन्य सभी स्तंभ मध्य प्रदेश शासन के द्वारा बनाये गए हैं. यह आश्रम धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक व अाध्यात्मिक साधना का केंद्र रहा है. इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में गौर करें तो आश्रम की स्थापना महंथ स्व केशव साहब ने 1875 में की. वह 1895 तक महंथ रहे. उसके बाद स्व श्याम बिहारी दास साहब 1895 से 1901, महंथ स्व रिशाल साहब 1901 से 1929 तक, महंथ स्व. ब्रह्मदेव साहब 1929 से 1954 तक, उसके बाद महंथ स्व कमल साहब 1954 से 1975 तक रहे. उन्होंने आश्रम के 100 वें स्थापना दिवस पर अपने जीवन काल में ही रामस्नेही दास को महंथ की गद्दी पर बैठाकर उन्हें महंथ बनाया. महंथ रामस्नेही दास ने अपने काल में ही विश्व कबीर शांति स्तंभ की स्थापना की. वह भी अपने जीवन काल में ही 15 सितंबर 1997 को अपना कार्य भार रामरूप दास को सौंपे. फिलहाल धार्मिक न्यास परिषद पटना द्वारा नवगठित समिति के अध्यक्ष पीपराकोठी सीओ, भरत पटेल सचिव, शशिभूषण कुमार, कोषाध्यक्ष सहित अन्य सदस्य के द्वारा आश्रम का संचालन किया जा रहा है. मौके पर मुख्य रूप से डा त्रिपुरारी दास, रामशरण दास, भरत पटेल, शशिभूषण कुमार, शम्भू पासवान, शम्भू साह, राजेंद्र राम, श्यामबिहारी गुप्ता, राजेश राम सहित अन्य यज्ञ के सफलता में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं.

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