मोतिहारी.आपसी सद्भाव बिगाड़ने वाले लोगों को सिकरहना अनुमंडल के लहन ढाका की घटना से सबक लेना चाहिए. कैसे एक हिंदू को बचाने के लिए तीन मुस्लिम युवकों ने अपनी जान गंवा दी. घटना के 13 दिन बाद भी लोग याद कर गमगीन हो जा रहे हैं. 18 जुलाई को लहन ढाका में नवनिर्मित शौचालय की सेंटरिंग खोलने के दौरान हुई घटना ने जख्म के साथ बड़ा संदेश भी दिया है. संदेश हिंदू-मुस्लिम एकता व आपसी सद्भाव का है, जिसकी चर्चा हो रही है. हादसे में मरने वालों की याद में कार्यक्रम करने की तैयारी चल रही है. लोग बताते हैं कि सेंटरिंग में पहले देवेंद्र यादव गये थे और उनकी मौत हो गयी. वहां मौजूद मो. हसनैन, सैयद आदिल व वसी अहमद चाहते तो भाग जाते, लेकिन अपने अंतरात्मा की आवाज सुनी. देवेंद्र यादव को देखने व सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मो. हसनैन भी अंदर उतरा जो नहीं बच पाया. उसके बाद 19 वर्षीय सैयद आदिल भी अपने को नहीं रोक पाये और बकरी बांधने वाली रस्सी को लेकर उतरे, लेकिन उनकी भी जान चली गयी. इसके बाद वसी अहमद गये और उनकी भी जिंदगी खत्म हो गयी.
इन तीनों युवकों की याद में चैंबर ऑफ कॉमर्स ने एकता दिवस मनाने का फैसला लिया है. दो अगस्त को कैंडल शांति मार्च निकाला जाएगा. चैंबर के सचिव जमील अख्तर ने बताया कि ढाका जैसे संवेदनशील इलाके में तीनों ने अपनी जान गंवाकर आपसी सद्भाव का शानदार नमूना पेश किया है. देवेंद्र की मौत के बाद वे चाहते तो भाग सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं कर यह साबित कर दिया कि अनेकता में एकता ही हमारी संस्कृति है.
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