पुलिस अनुसंधान में सख्ती के बाद दवा घोटाले का दो करोड़ बैंक में हुआ जमा

दर अस्पताल में करोड़ों के दवा घोटाले में पुलिस अनुसंधान के बाद नया मोड़ आ गया है

By Prabhat Khabar News Desk | June 19, 2024 11:35 PM

मोतिहारी. सदर अस्पताल में करोड़ों के दवा घोटाले में पुलिस अनुसंधान के बाद नया मोड़ आ गया है. मामले में विभाग की ओर से दो करोड़ रुपये सरकारी खाते में जमा करायी गयी है. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख की है. घोटाले का सबसे महत्वपूर्ण मामला यह है कि आरोपी सीएस कार्यालय का कर्मी कई महत्वपूर्ण संचिकाओं को निपटा रहे हैं. नियमानुसार आरोपी को कार्यमुक्त कर जमानत मिलने तक किसी संचिका से अलग रखना है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मामला 2017 का है, जब तत्कालीन सीएस मीरा वर्मा के उपर मामला दर्ज किया गया था. घोटाला चार करोड़ 50 लाख 77 हजार का है. पटना हाइकोर्ट ने नामजद आरोपियों को 2017-18 में थोड़ी राहत दी थी. अब 2024 में इस केस में नया नाम संजय सिन्हा प्रधान लीपिक का जुड़ गया है. इसके अलावा कई अन्य कर्मी सिविल सर्जन कार्यालय के पूर्व के भी है, जो कोर्ट में जमानत के लिए पहुंचे है. 14 जून को जमानत तो नहीं मिल सकी है. अब कर्मियों को 22 जून का इंतजार है. यहां बता दें कि प्रधान लिपिक को तीन-तीन फाइलों का जिम्मा दिया गया है. एक पीएचसी लिपिक का चार्ज, दूसरा पोस्टमार्टम फाईल सहित अन्य फाइलों को निपटा रहे है. अनुसंधानक नगर थाना के अधिकारी पप्पू पासवान ने बताया कि मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार का था. प्राथमिकी 05 अप्रैल 2017 को नगर थाना में दर्ज हुई. प्राथमिकी के अनुसार बगैर किसी आदेश के आपूर्तिकर्ता कंपनी की ओर से करीब पांच से छह करोड़ के दवा की आपूर्ति की गयी. जांच में अस्पताल के भंडार में करीब 85 लाख की दवा मिली, जो भुगतान किया गया है वह डयू वाउचर के आधार पर किया गया है. हस्ताक्षर वाउचर पर है, लेकिन पंजी में नहीं. मामले में सीएस सहित कई चिकित्सक व प्रखंड स्वास्थ्य कर्मी पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्रभारी सीएस डॉ श्रवण पासवान ने बताया कि आरोपी को महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार नहीं होना चाहिए, अगर है तो मामले की जांच वरीय अधिकारी से विमर्श के बाद करायी जाएगी.

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