मोतिहारी. देश भर में नये अपराधी कानून एक जुलाई से लागू हो गया. इसको लेकर पूर्वी चम्पारण के सभी थानों में पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में आम नागरिकों के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. नगर थाना में एसपी कांतेश कुमार मिश्र ने आमजन के साथ बैठक कर उन्हें तीन नये कानून के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अब किसी भी तरह के अपराध से पीड़ित व्यक्ति जाहे तो घटना स्थल या किसी भी जगह से एफआईआर करवा सकता है. वह निशुक्ल एफआईआर की एक प्रति प्राप्त भी कर सकता है. यह जिम्मेवारी पुलिस की होगी. नागरिक केंद्रित कानून के तहत इसके अलावा पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है. महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच होगी. साथ ही सात दिनों के अंदर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे. कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्रवाई को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का भी प्रावधान नये कानून में है. उन्होंने यह भी बताया कि नये कानून में पीड़ित को ई-बयान देने के लिए स्वतंत्र किया गया है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से गवाहों, अभियुक्तों विशेषज्ञों और पीड़ितों की उपस्थिति के लिए ई-एपियरेन्स की शुरूआत की गयी है. अब अदालत में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को फिजिकल एविडेंस के बराबर माना जायेगा. उन्होंने कहा कि आज से प्रभावी हुए तीन नये कानून में भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होगा. उन्होंने कहा कि नागरिक व पीड़ित केंद्रित तीन नये आपराधिक कानून व्यक्तिगत, अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता की गारंटी देता है. यह भारत के द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाये गये कानूनों के अनुसार, संचालित होगी. इस कानून में समानता और निष्पक्षता के साथ न्याय पर बल दिया गया है. जिससे व्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ सभी के लिए न्याय सुनिश्चित की जा सके.
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