दिलों को जोड़ने वाली भारतीय जुबान है उर्दू
उर्दू दिलों को जोड़ने वाली भाषा है. यह मीठी जुबान है और गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल है.
मोतिहारी.उर्दू दिलों को जोड़ने वाली भाषा है. यह मीठी जुबान है और गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल है. भारत की मूल भाषा है और समाज को एक सूत्र में बांधती है. उक्त बातें जिला उपनिर्वाचन पदाधिकारी सरफराज नवाज ने गुरुवार को मंत्रीमंडल सचिवालय, उर्दू निदेशालय के तत्वावधान में जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा शहर के नगर भवन के सभागार में आयोजित जिला स्तरीय वाद विवाद प्रतियोगिता को संबोधित करते हुए कही. कहा कि जिंदगी में कामयाबी की मंजिल तय करने के लिए भाषा की जानकारी सबसे अहम है. अध्यक्षता कर रहे कोषांग के प्रभारी पदाधिकारी मो. हैदर इमाम अंसारी ने कहा कि उर्दू व उर्दू भाषी छात्र-छात्राओं की बेहतरी के लिए सरकार कई स्तर से काम कर रही है. जिला स्तरीय वाद- विवाद प्रतियोगिता,मुशायरा सहित कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. प्रतियोगिता में मैट्रिक,इंटर व स्नातक के छात्र-छात्राएं शामिल हुए. संचालन कर्मी गुलाम रब्बानी ने किया.मौके पर अंजुमन उर्दू तरक्की के जिला सदर तनवीर खान,कोषांग के दानीश रजा,हामिद नसीम हसन,मो.अख्तर हुसैन,बुलंद अख्तर,मो. इजहार अंसारी,मो. कलीमुल्लाह,मो. ओएस,सैयद माजिद हुसैन,मो. मुस्तकीम,गुलशन आरा,शारीक आलम,मो. उमर,मो. सोहैल शस्म,मो. समीउल्लाह,मो. जेयाउर्रहमान,व रजी अहमद के अलावा निर्णायक मंडल के सदस्य तफतजील अहमद,ओजैर अंजुम,मेहर आलम,मो.एहसानुल्लाह आदि मौजूद थे.
इन विषयों पर हुई प्रतियोगिता
-मैट्रिक या उसके के समकक्ष के लिए तालीम की अहमियत,या सफाई की अहमियत,या जल जीवन हरियाली. इंटरमीडिएट या उसके समकक्ष के लिए ग्लोबल वार्मिंग या शराब सभी बुराईयों की जड़,या जम्हूरियत निजाम में इंतखाबात की अहमियत व स्नातक या उसके समकक्ष वर्ग- के लिए मोलाजीम निस्वा की अहमियत,या अफादियत या जहेज एक सामाजी लानत,या जंग-ए-आजादी में उर्दू का किरदार.
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