Motihari news : कहां से आयेगा 120 साल पुराना खतियान, जटिल बनती जा रही भू-सर्वेक्षण की प्रक्रिया
भू- सर्वेक्षण प्रक्रिया से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. किसानों को अपनी जमीन हाथ से खिसकने की चिंता सता रही है.
वरीय संवाददाता, मोतिहारी.भू- सर्वेक्षण प्रक्रिया से किसानों की चिंता बढ़ गयी है. किसानों को अपनी जमीन हाथ से खिसकने की चिंता सता रही है. कुछ भू स्वामियों के स्वामित्व के कागजात बाढ़ या अगलगी आदि में नष्ट हो चुके हैं या कीड़े खा गये हैं. भू स्वामी ऐसे हैं, जिनकी भूमि का बंटवारा कई पुस्त से नहीं हुआ है या फिर गंवई पंचायत में मुजबानी बंटवारा के आधार पर भूमि जोत रहे हैं. लोग कागजात की तलाश के लिए विभागों का चक्कर लगा रहे हैं. कई इलाके में निजी अमीनों व जानकारों के बाकायदा ऑफिस खुल गए हैं. कई जगह सर्वे रिपोर्ट में जमीन के टुकड़े के मलिकाना हक में पहले गलत नाम चढ़ा देने, फिर उसे सुधार करने के नाम पर वसूली की जा रही है. जो लोग गांव से बाहर हैं उन्हें भय है कि मेरा जमीन कोई दूसरा न अपने नाम चढ़ा लें. भीड़ के कारण कर्मचारियों के पास अटर्नी की संख्या भी बढ़ गयी है. लोग कार्यालय का चक्कर का रहे हैं.अंचल के साथ अभिलेखागार में भीड़ बढ़ गयी है. जहां अरेराज के सरोज दूबे, कुमारी सुन्दरम मोतिहारी शहर, उपेन्द्र यादव राजेपुर सहित दर्जनों लोग कतार में खड़े थे. पूछने पर किसी ने 15 दिन तो किसी ने एक माह से खतियानी कागज के लिए परेशान है. किसी को आवेदन के बाद रसीद नहीं मिला है तो किसी ने एक से दो हजार खर्च के बाद भी कागजात न मिलने की बात को ले परेशान हैं. इसकाे ले नोकझाेंक भी हो रहे हैं Motihari news :1914 का खतियान मिलना मुश्किल जिला बंदोबस्त अधिकारी कुमार विवेकानंद ने बताया कि 1914 के खतियान को आधार मान कार्य किया जा रहा है. किसान केसव सिंह, बिगन राउत, मनोज कुमार सुधांशु शर्मा ने बताया कि लोगों के पास उस समय का कागजात नहीं है. कागजात देने के नाम पर करने के नाम पर रुपये की मांग की जाती रही है. विभाग 1914 के खतियान को बेस मानता हैं. जिन लोगों ने हाल के वर्षों में जमीन खरीदी है, उनसे भी 1914 से लेकर अब तक की खरीद बिक्री का ब्यौरा मांगा जाता है. खरीदार करीब 118 वर्षों का ब्यौरा कहां से लाएगा. Motihari news :भू धारियों की बढ़ीं चिंताएं : सदर प्रखंड के उपेन्द्र शुक्ल, चिरैया के उमेश कुमार, दिनेश महतो, संग्रामपुर के राकेश सहनी की कई चिंताएं हैं. इनका कहना है कि जिस परिवार में बंटवारा नहीं हुआ है, वह अब वंशावली तैयार करने को लेकर मगजमारी कर रहे हैं. जिन लोगों ने जमीन का खेसरा बार ब्योरा अब तक ऑनलाइन नहीं कराया है, उन्हें सबसे पहले प्लॉट संख्या यानी खेसरा बार परिमार्जन ऑनलाइन कराना पड़ रहा हैं. तुरकौलिया के वंशी लाल कुशवाहा ने बताया कि विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध जमाबंदी में भू स्वामियों के नाम में कई तरह की त्रुटियां हैं. इसे सुधारने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. Motihari news :अंचल कार्यालय व कचहरी में लोगों की भीड़ कागजात की तलाश में लोग सरकारी कार्यालयों एवं कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं. जमाबंदी में वंशावली से लेकर जमीनी स्तर तक कई परेशानियां सामने आ रही है. इसके निराकरण के लिए भूमि निबंधन कार्यालय,अंचल व सर्वे कार्यालय व न्यायालय में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. लगभग सभी प्रखंड में जमीन का लगान अपडेट नहीं होने, म्यूटेशन , आपसी बंटवारा नहीं होने से कागजात की कमी, दादा-परदादा के नाम से जमाबंदी समेत कई तरह की परेशानियां से जमीन मालिक जूझ रहे हैं.
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