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सांसद सिग्रीवाल ने सरकार और प्रशासन पर FIR के लिए आवेदन दिया, बोले- हमारी हत्या की थी साजिश

बाढ़ के भाजपा नेता राजेश सिंह राजू ने भी कोतवाली थाने में आवेदन दिया है. दोनों आवेदन पूर्व मंत्री जिवेश मिश्रा और विधायक नीरज कुमार बब्लू ने दिया है. नेता राजेश सिंह राजू ने आवेदन में कहा है कि लाठीचार्ज में मेरा दाहिना हाथ टूट गया है.

पटना. भाजपा द्वारा निकाले गये विधानसभा मार्च में लाठीचार्ज का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. रविवार को महाराजगंज के भाजपा सांसद जर्नादन सिंह सिग्रीवाल ने कोतवाली थाने में सीएम, डिप्टी सीएम, डीएम, एसएसपी समेत अन्य उपस्थित पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया है. वहीं बाढ़ के भाजपा नेता राजेश सिंह राजू ने भी कोतवाली थाने में आवेदन दिया है. दोनों आवेदन पूर्व मंत्री जिवेश मिश्रा और विधायक नीरज कुमार बब्लू ने दिया है. नेता राजेश सिंह राजू ने आवेदन में कहा है कि लाठीचार्ज में मेरा दाहिना हाथ टूट गया है.

प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की अपील

कोतवाली थानाध्यक्ष संजीत कुमार ने बताया कि भाजपा कार्यकर्ता द्वारा सांसद सिग्रीवाल के नाम से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया है. लिखित आवेदन में सांसद ने कहा कि पुलिस प्रशासन से मार्च का रूट, समय और कार्यकर्ताओं की संख्या संबंधित जानकारी देकर विधानसभा मार्च के लिए अनुमति भी लिया गया था. इसके बावजूद सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने साजिश के तहत डीएम डाॅ चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी राजीव मिश्रा के साथ मिल कर लाठीचार्ज करवाया है. उन्होंने आगे लिखा कि नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाये.

घेर कर बरसायी गयी लाठियां : सिग्रीवाल

उन्होंने आवेदन में लिखा है कि जब मार्च फ्रेजर रोड पहुंचा तो मेरे सुरक्षाकर्मियों ने आकर कहा कि आगे डाकबंगला चौराहे पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया जा रहा है. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों के साथ मैं वहीं रुक गया. कुछ देर बाद अनुमंडल पदाधिकारी पटना सदर श्रीकांत कुंडलिक खांडेलकर, सहकारिता प्रसाद पदाधिकारी मसौढ़ी शशि भूषण कुमार, एएसपी सदर काम्या मिश्रा, सेंट्रल पुलिस उपाधीक्षक पहुंच गये और घेर लिया और ताबड़तोड़ लाठियां बरसाने लगे. यह जानते हुए कि मैं सांसद हूं इसके बावजूद बेरहमी से पीटा गया, जिसमें मैं जख्मी हो गया. इसके बाद मेरे कार्यकर्ता रमाशंकर मिश्रा, बंटी ओझा, नीरज कुमार और शिवाजी सिंह ने आनन-फानन में मुझे आइजीआइएमएस में भर्ती कराया. अभी जांच चल रही है. उन्होंने कोतवाली थाने की पुलिस से आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज कर नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की बात की है.

सिंह के शव पर चोट का कोई निशान नहीं

इससे पूर्व कल उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर पटना में 13 जुलाई को प्रदर्शन के दौरान हुई भाजपा के एक नेता की मौत के मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. नीतीश कुमार नीत सरकार के खिलाफ 13 जुलाई को विधानसभा मार्च में हिस्सा लेने के दौरान भारतीय जनता पार्टी के जहानाबाद जिले के नेता विजय सिंह की मृत्यु हो गई थी. पार्टी नेताओं ने दावा किया कि पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में उनकी मृत्यु हुई. वहीं, पटना में जिला प्रशासन ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा था कि सिंह के शव पर चोट का कोई निशान नहीं मिला.

प्रदर्शन विरोध का एक सर्वमान्य तरीका

राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में आयोजित विधानसभा मार्च पटना के गांधी मैदान से शुरू हुआ था और विधानसभा परिसर से कुछ किलोमीटर दूर रोक दिया गया था. बिहार निवासी भूपेश नारायण द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बिहार के पुलिस महानिदेशक सहित अन्य अधिकारियों द्वारा 13 जुलाई को भाजपा द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण मार्च के दौरान हुई घटना में कथित तौर पर वास्तविक अपराधियों को बचाने में निभाई गई भूमिका की जांच करने की भी मांग की गई है. अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कानून का राज और कानून व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का संवैधानिक दायित्व है. याचिका में कहा गया कि लोकतांत्रिक देश में सरकारी नीति के खिलाफ शांतिपूर्ण जुलूस या मार्च या प्रदर्शन विरोध का एक सर्वमान्य तरीका है.

बर्बरता और अत्याचार के कारण सिंह की मौत

याचिका में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है. याचिका में दावा किया गया कि पूर्व नियोजित तरीके से, मार्च में शामिल सदस्यों को अचानक पुलिस ने घेर लिया और लाठीचार्ज, पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अराजक स्थिति पैदा हो गयी. याचिका में आरोप लगाया गया कि पुलिस की बर्बरता और अत्याचार के कारण सिंह की मौत हुई.

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