संकल्प यात्रा के दौरान मुकेश सहनी गंगा जल लेकर कार्यकर्ताओं से क्या दिला रहे संकल्प?

यह यात्रा वीर, सेवदाहा , सांडा, मसौढ़ी, देऊरिया, इचिपुर होते हुए पालीगंज पहुंच गई. इस दौरान प्रत्येक पडाव पर सहनी का स्वागत किया गया

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2023 7:03 AM

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी गुरुवार को अपने निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के तीसरे दिन पालीगंज पहुंचे. इस यात्रा के दौरान संकल्प रथ जिस पड़ाव पर पहुंच रहा है वहां बड़ी संख्या में लोग रथ को देखने और उन्हें सुनने के लिए पहुंच रहे हैं. इस दौरान सहनी लोगों के बेहतर भविष्य के लिए अपनी पार्टी और अपने बेटा के लिए संघर्ष करने तथा अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए हाथ में गंगा जल लेकर संकल्प भी करवाया.

गुरुवार को यह यात्रा बैरिया से शुरू हुई और अब्दुल्लाह चक, संपत चक, गौरी चक, रामगंज , बालदारिचक पहुंची. इसके बाद यह यात्रा वीर, सेवदाहा , सांडा, मसौढ़ी, देऊरिया, इचिपुर होते हुए पालीगंज पहुंच गई. इस दौरान प्रत्येक पडाव पर सहनी का जोरदार स्वागत किया गया और वीआईपी के पक्ष में लोगों ने जमकर नारे लगाए. इस दौरान सहनी ने लोगों को संबोधित करते हुए साफ संदेश दे दिया कि उन्हें निषाद आरक्षण के अलावा कोई शर्त मंजूर नहीं. उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री नहीं बनना, हमें निषाद आरक्षण चाहिए.

उन्होंने लोगों को अपने समाज के लिए संघर्ष करने तथा साथ देने की अपील करते हुए कहा कि आज तक आपने तेजस्वी जी, अमित शाह जी और नीतीश कुमार जी को वोट दिए होंगे, लेकिन कभी भी वे परेशानी में नहीं आए. आपके हक और अधिकार की बात तक नहीं की. उन्होंने कहा कि आज हम आपके हक और अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. उन्हें कहा कि आप अपने बेटे को, अपनी पार्टी को वोट दीजिए तभी वह आपका हक और आपका अधिकार दिलाएगा.

उन्होंने कहा कि अगर हमारे पूर्वजों ने अपना नेता बनाया होता तो आज हमे परेशानी नहीं होती. उन्होंने कहा कि हमारा वोट लेकर लोग प्रधानमंत्री बनते हैं लेकिन जब आरक्षण और बेटे को नौकरी देने की बात होती है तो पीछे हट जाते है और डंडा चलाते हैं.

उन्होंने लोगों में जोश भरते हुए कहा कि अब हमे अनाज नहीं बेटे के लिए नौकरी चाहिए अपना अधिकार चाहिए. उन्होंने आगे कहा अब निषाद जग चुका है और वह अपना वोट नहीं बेचेगा. जो दोस्त होगा उसे वोट देगा और जो दुश्मन होगा उसे हराने के लिए संघर्ष करेगा.

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