बिहार: मुंगेर गंगा रेल पुल दोहरीकरण का रास्ता हुआ साफ, प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए मिले 50 करोड़, जानिए फायदे..

बिहार के मुंगेर में गंगा पर बने रेल पुल का दोहरीकरण काम होना है. इसका रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो चुका है. प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए बजट में 50 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए गए हैं. अब इस पुल का दोहरीकरण होने से सिंगल ट्रैक की समस्या खत्म होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 8, 2024 11:04 AM
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जमालपुर- मुंगेर गंगा पुल रेललाइन दोहरीकरण का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है. एक फरवरी को संसद में पेश अंतरिम बजट में प्रथम चरण में 50 करोड़ की राशि आवंटित की गयी है. ताकि रेललाइन दोहरीकरण का कार्य तत्काल शुरू किया जा सके. रेलवे लाइन दोहरीकरण होने से एक ओर जहां जमालपुर- खगड़िया (उमेशनगर) तक 14 किलोमीटर रेल मार्ग को सिंगल ट्रैक से मुक्ति मिलेगी, वहीं दूसरी ओर इस रेलखंड पर ट्रेनों की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है.

1600 करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना

जमालपुर-मुंगेर गंगा पुल होते हुए (14 किलोमीटर में) रेलवे लाइन का दोहरीकरण कार्य होगा. इसका सर्वे का काम पूर्ण हो चुका है. रेलवे के अभियंताओं ने इस रेललाइन का डीपीआर भी बना कर रेलवे बोर्ड को सौंप दिया था. इस पर 1600 करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना बतायी गयी है. संसद में पेश अंतरिम बजट में जमालपुर-मुंगेर रेललाइन दोहरीकरण को लेकर राशि का प्रावधान किया गया है.

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दिसंबर 2023 में हुआ था सर्वे

बताया जाता है कि जमालपुर-मुंगेर-उमेशनगर के बीच सिंगल रेल ट्रैक होने के कारण कई तरह की समस्या उत्पन्न हो रही है. सिंगल ट्रैक होने के कारण यात्री ट्रेनों को रोक दिया जाता है. जबकि ट्रेनों की संख्या में भी बढ़ोतरी नहीं हो रही है. जबकि लोकल ट्रेनों में भी इजाफा नहीं हो रहा है. यह रेललाइन मालगाड़ियों के परिचालन के लिए प्रसिद्ध हो गयी है. जबकि जमालपुर-मुंगेर-खगड़िया रेलखंड के रास्ते कोसी-सीमांचल, उत्तर बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी राज्यों की दूरी काफी कम हो जाती है. जब रेल मंत्रालय को इस मार्ग के दोहरीकरण की जरूरत पड़ी तो इसका सर्वे कार्य कराया. सर्वे के बाद 1600 करोड़ की डीपीआर बनाकर रेलवे बोर्ड को भेजा गया था.

दोहरीकरण से यात्री और रेलवे दोनों को फायदा

वर्ष 2016 में मुंगेर गंगा रेल पुल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था. पहली ट्रेन पैसेंजर ट्रेन थी. इस रेल खंड पर प्रतिदिन पांच से छह हजार यात्री सफर करते हैं. यहां से खगड़िया, सहरसा और बेगूसराय के लिए ट्रेनें अप और डाउन में गुजरती है. एक एक्सप्रेस ट्रेन जयनगर के लिए चलती है, इसके अलावा अगरतला और गांधीधाम से एक-एक साप्ताहिक ट्रेन भी गुजरती है. यात्रियों के अनुपात में पैसेंजर ट्रेनों में कोचों की संख्या कम है. दोहरीकरण होने के बाद एक तरफ ट्रेनों की संख्या बढ़ने से यात्रियों को सफर में आसानी होगी, वहीं रेलवे को राजस्व का फायदा होगा.

14 साल में तैयार हुआ था वर्तमान पुल

गौरतलब है कि मुंगेर में गंगा पर वर्तमान में जो रेल-सड़क पुल है उसे तैयार करने में करीब 14 साल लग गए थे. इस रेल सड़क पुल को लेकर तत्कालीन सांसद अनशन पर भी बैठे थे. वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पुल का शिलान्यास किया था. वर्ष 2016 में इस पुल पर रेल सेवा आरंभ किया जा सका. अब दोहरीकरण होने के बाद इस रेल पुल होकर अधिक ट्रेनें गुजर सकेंगी. वर्तमान में मौजूद गंगा पुल पर रेल और सड़क दोनों मार्ग तैयार किए गए हैं.

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