Bihar News: मुंगेर सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था तो वैसे भी बदहाल है. लेकिन अब स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही के कारण यहां मरीजों के जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है. क्योंकि अब सदर अस्पताल में मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी यहां ट्रेनिंग करने आने वाले पारामेडिकल स्टूडेंट पर है. जिन्होंने मरीज की जगह डोनर का ही बल्ड सैंपल ले लिया. मरीज के लिए ये जानलेवा हो सकता था.
पारामेडिकल स्टूडेंट को ट्रेनिंग लेने के लिए जीएनएम स्कूल पूरबसराय से प्रतिदिन भेजा जाता है. इसमें खासकर महिला वार्ड, एनसीडी क्लीनिक, पुरुष वार्ड, चाइल्ड वार्ड में ट्रेनिंग करने आने वाले पारा मेडिकल स्टूडेंट हैं. वहीं सबसे बड़ी लापरवाही तो यह है कि जो स्टूडेंट यहां ट्रेनिंग करने आते हैं. उन्हें वार्ड में ट्रेनिंग देने के लिए कोई परिचारिका मौजूद नहीं होती. सदर अस्पताल के महिला वार्ड में भर्ती दो महिला मरीजों को चिकित्सक द्वारा रक्त चढ़ाने का निर्देश बीते बुधवार को दिया गया. इसे लेकर मरीज के परिजनों द्वारा ब्लड बैंक से रक्त लेने के लिए दो डोनर को बुलाया गया.
जब दोनों डोनर ब्लड बैंक में बैठे थे, तो ब्लड बैंक के कर्मियों द्वारा मरीज के परिजनों को रक्त चढ़ाने के पूर्व मरीज के खून का ग्रुप जांचने के लिए मरीज का 2 एमएल ब्लड लाने को कहा गया. वहीं जब मरीज के परिजनों द्वारा महिला वार्ड की परिचारिकाओं को बताया गया कि मरीज का 2 एमएल ब्लड मैचिंग के लिए चाहिए तो वहां मौजूद परिचारिकाओं द्वारा ट्रेनिंग के लिए आए पारामेडिकल स्टूडेंट को सिरिंज लेकर भेज दिया गया.
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जिसके बाद पारामेडिकल स्टूडेंट द्वारा जानकारी के अभाव में मरीज की जगह डोनर का ही रक्त लेकर जांच के लिए दे दिया गया. लेकिन उसी समय ब्लड बैंक के कर्मियों के वहां आ जाने के मरीज के रक्त को लाने को कहा गया, नहीं तो मरीज को उसकी जगह डोनर के ग्रुप का ब्लड ही चढ़ा दिया जाता.
सिविल सर्जन डॉ पीएम सहाय ने बताया कि पारामेडिकल स्टूडेंट को केवल ट्रेंड जीएनएम की उपस्थिति में ही इंजेक्शन या स्लाइन लगाना है. इसके अतिरिक्त उन्हें केवल सीखना है. यदि वार्ड में परिचारिकाएं नहीं जा रही हैं तो इसकी जानकारी ली जायेगी. साथ ही दोषी पाए जाने वाली परिचारिकाओं के विरुद्ध कार्रवाई होगी.
Published By: Thakur Shaktilochan