अवैध पड़ाव से बढ़ी मुसीबत

समस्या.स्टैंड संचालकों की मनमानी से कई स्थानों पर जाम वाहन चालकों और स्टैंड संचालकों की मनमानी के कारण शहर में दर्जन भर स्थान अवैध ऑटो स्टैंड बन गये हैं. इसके कारण शहरवासियों की मुसीबत बढ़ गयी है. शहर के एक नंबर ट्रैफिक, शीतला स्थान, नीलम चौक, राजीव गांधी चौक, सितारिया चौक, भगत सिंह चौक, कौड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2017 5:57 AM

समस्या.स्टैंड संचालकों की मनमानी से कई स्थानों पर जाम

वाहन चालकों और स्टैंड संचालकों की मनमानी के कारण शहर में दर्जन भर स्थान अवैध ऑटो स्टैंड बन गये हैं. इसके कारण शहरवासियों की मुसीबत बढ़ गयी है. शहर के एक नंबर ट्रैफिक, शीतला स्थान, नीलम चौक, राजीव गांधी चौक, सितारिया चौक, भगत सिंह चौक, कौड़ा मैदान अवैध ऑटो स्टैंड बना है. इससे आम शहरी परेशान हैं.
मुंगेर : नगर निगम द्वारा वाहन स्टैंड की बंदोबस्ती की जाती है. स्टैंड से ही वाहन खुले इसके लिए वहां के ठेकेदार व उसके कर्मी की जवादेही है. लेकिन दुर्भाग्य है कि ठेकेदार के आदमी सिर्फ पैसे वसूलने में लगे रहते हैं. साथ ही अवैध पड़ाव पर से ऑटो चालकों से निर्धारित राशि से अधिक की वसूली की जाती है. शहर के एक नंबर ट्रैफिक, शीतला स्थान, नीलम चौक, राजीव गांधी चौक, आजाद चौक, किताब गली, सितारिया चौक, भगत सिंह चौक, कौड़ा मैदान, कोर्णाक मोड़ पर अवैध ऑटो स्टैंड हैं.
इतना ही नहीं किला के अंदर भी ऑटो फर्राटे मारती है. हद तो यह कि पूरबसराय मिनी स्टैंड के रूप में स्थापित हो गया है. अंडर ब्रिज के समीप ऑटो की भीड़ लगी रहती है.
जाम से आमजन परेशान
अवैध ऑटो स्टैंड के कारण प्रतिदिन जाम की स्थिति बनी रहती है. ऑटो चालक वाहन को यत्र-तत्र खड़ा करते हैं. इसके कारण जाम लगता है. सबसे खराब स्थिति पूरबसराय, राजीव गांधी चौक, शीतला स्थान, एक नंबर ट्रैफिक एवं कौड़ा मैदान की रहती है. जहां हमेशा ऑटो लगे रहने के कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है.
जवाबदेही नहीं हो रही तय
अवैध वाहन पड़ाव के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या के प्रति जवाबदेही तय नहीं हो पा रही है. निगम प्रशासन टेंडर प्रक्रिया पूरी कर सिर्फ राजस्व की प्राप्ति करने तक ही अपना उत्तरदायित्व समझता है. शहर में अगर अतिक्रमण होता है तो उसे हटाने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी का दायित्व हो जाता है, लेकिन अनुमंडल प्रशासन द्वारा भी अवैध वाहन स्टैंड के खिलाफ अभियान नहीं चलाया जाता है. जबकि जिला परिवहन विभाग मामले के प्रति उदासीन है. पुलिस विभाग द्वारा भले ही यातायात व्यवस्था सुदृढ़ बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस बहाल कर चौक-चौराहों पर तैनात कर दिया गया हो, लेकिन वे भी अवैध वाहन स्टैंड से ऑटो हटाने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते.

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