जमालपुर : बिहारमें जमालपुर से मुंगेर रूट पर चलनेवालीइस ट्रेनकी कथा अजीब है. इस ट्रेन को स्थानीय लोग कुली गाड़ीकहतेहै. जबकि, रेलवे की सरकारी भाषा में इसे ‘श्रमिकयान’ केनाम सेजानाजाता है. यह ट्रेन जमालपुर रेल कारखाना से आसपास के लगभग 20-25 किमी के दायरे में अलग-अलग जगहों से अपने श्रमिकों को लाने और ले जाने के लिएतीन रूटों पर चलायी जाती है.
बताया जाता है कि इस रेल कारखाने में आज की तारीख में आठ हजार श्रमिक भी काम नहीं करते और जो श्रमिक काम कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर जमालपुर में ही रहते हैं. शेष लोगों को लाने और ले जाने के लिए चलनेवाली इस ट्रेन में ज्यादातर लोकल यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं और जिन श्रमिकों के लिए यह ट्रेन चलती है, उनके वेतन से रेलवे हर महीने 1800 रुपये काट लेती है. यानी, श्रमिकयात्रियों को एक दिन के आने-जाने का किराया 70-75 रुपये देना होता है. जबकि, एक आम व्यक्ति किसी एक रूट का मंथली पास बनवा ले, तो करीब 150 रुपये के आसपास खर्च होता है.