गुरु पूर्णिमा मन के पूर्ण उजाले का प्रतीक
मुंगेर : बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा है कि चंद्रमा मन का द्योतक है. अत: गुरु पूर्णिमा मन की पूर्ण उज्जवलता का प्रतीक है. प्रत्येक शिष्य और साधक का चंद्रमा की भांति अपने मन के अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा तय करनी पड़ती है. वे रविवार को पादुका […]
मुंगेर : बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा है कि चंद्रमा मन का द्योतक है. अत: गुरु पूर्णिमा मन की पूर्ण उज्जवलता का प्रतीक है. प्रत्येक शिष्य और साधक का चंद्रमा की भांति अपने मन के अंधकार से प्रकाश तक की यात्रा तय करनी पड़ती है. वे रविवार को पादुका दर्शन आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने विधिवत गुरु पुजन किया.गुरु पूर्णिमा पर पादुका दर्शन आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. पूरा वातावरण ऊर्जा से ओतप्रोत था. गुरु स्तोत्र के पाठ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
बाल योग मित्र मंडल के बच्चों द्वारा गुरु पूजन किया गया. इसके पश्चात वैदिक शांति मंत्री, सत्यानंद गायत्री और सकरादि सत्यम सहस्रनामावलि के साथ स्वामी निरंजनानंद ने पादुका पूजन एवं संयासी हवन संपन्न किया. स्वामी निरंजनानंद ने कहा कि हमारे अंहकार का सिर नीचे झुके और हम सदभाव को अपने जीवन में ला सके. आज हम यह संकल्प लें कि जिस प्रकार चंद्रमा प्रत्येक दिन बढ़ते-बढ़ते पूर्णिमा को पूर्ण प्रकाशित हो जाता है. उसी प्रकार हम भी चेष्टा करें कि हमारा जीवन धीरे-धीरे उज्वलता होती रहे. चाहे पूर्णिमा का स्वरूप एक दिन में नहीं आये. परंतु चतुर्थी या पंचमी तक तो पहुंचने की चेष्टा करें. हमें अपने वर्तमान को नहीं नकारना है बल्कि उसे जानकर उससे ऊपर उठने का प्रयत्न करना है. उन्होंने कहा कि साधरणत: सत्य को वाणी और व्यवहार से जोड़ा जाता है. परंतु सत्य का अर्थ है कि सभी नकाव, सभी स्वांग त्याग कर हम अपने असली अस्तित्व में स्थित हों. सत्यम के इस अनुभव में सभी कुछ शिवम और सुंदरम प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि अपने आप को गुरु तत्व से जोड़ों, अपनी शुभेच्छा और संकल्प में उनसे एकत्व रखो और इस भाव को सर्वदा सुरक्षित रखो.