महिला डाकघर में नकद जमा-निकासी में लाखों का गबन
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उपभोक्ताओं के खाते से भी कर ली गयी निकासी
महिला डाकघर में नकद जमा-निकासी में लाखों का गबन मुंगेर : मुंगेर मुख्यालय स्थित महिला डाकघर के उपभोक्ताओं के खाते से जहां लाखों रुपये की निकासी कर गबन कर लिया गया है, वहीं नकद राशि जमा-निकासी के दौरान भी बड़े पैमाने पर राशि का गबन किया गया है. प्रारंभिक जांच में अब तक पांच लाख […]
मुंगेर : मुंगेर मुख्यालय स्थित महिला डाकघर के उपभोक्ताओं के खाते से जहां लाखों रुपये की निकासी कर गबन कर लिया गया है, वहीं नकद राशि जमा-निकासी के दौरान भी बड़े पैमाने पर राशि का गबन किया गया है. प्रारंभिक जांच में अब तक पांच लाख रुपये गबन का मामला सामने आया है. डाक अधीक्षक ने उपडाकपाल तलत सुलताना को दोषी पाते हुए तत्काल निलंबित कर दिया है. लेकिन उपभोक्ताओं के खाते से गायब रूपयों की भरपाई विभाग कैसे करेंगी इस पर संसय की स्थिति बनी हुई. क्योंकि डाकघर में उपभोक्ताओं का जो रुपया जमा व निकासी दिखाया जा रहा है वह राशि प्रधान डाकघर यानी सरकार के खाते में जमा व निकासी नहीं दिख रहा है.
क्या है मामला
मई 2016 में शहर के घोषी टोला में महिला डाकघर खोला गया. जहां तलत सुलतान को उपडाकपाल के पद पर तैनात किया गया. एक मात्र महिला कर्मी के हवाले महिला डाकघर का काम छोड़ दिया गया. काम निष्पादन के लिए कंप्यूटर संचालक के रूप में सन्नी कुमार नामक युवक को वहां रख लिया गया. जो नकद राशि जमा-निकासी का काम देखता था. जबकि महिला डाकपाल रजिस्ट्री व अन्य कार्य देखती थी. पिछले दिनों एक महिला ने विभाग में शिकायत किया कि पिछले तीन माह से वह बाहर थी. लेकिन उसके खाते से राशि की निकासी कर ली गयी. तब मामला सामने आया.
सेविंग बैंक कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने सौंपी रिपोर्ट : महिला की शिकायत पर जब प्रधान डाकघर के सेविंग बैंक कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने महिला डाकघर के छोटे-छोटे वाउचर का जांच की. जिसमें संदेह पुख्ता हो गया कि यहां बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के राशि का गबन किया गया है. ऑर्गेनाइजेशन ने डाक अधीक्षक को अपनी रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ायी गयी.
कैसे हुआ राशि का गबन : बताया जाता है कि महिला डाकघर में हजारों खाताधारी है. रोजाना लाखों रुपये का जमा-निकासी यहां होता है. जुलाई माह से ही यहां कैश डिपोजिट में धालमेल हो रहा था. क्योंकि खाताधारी पैसा जमा कर रसीद प्राप्त कर लेते थे. लेकिन खाताधारी का जमा नकद राशि प्रधान डाकघर के सरकारी खाते में जमा नहीं कराया जाता था. इतना ही नहीं दूसरे के खाते से भी रूपयों की निकासी गलत तरीके से कर लिया गया. जबकि तीन खाताधारी के नाम पर एटीएम कार्ड निर्गत करवाकर एटीएम के माध्यम से भी राशि की निकासी कर ली गयी है.
जांच के लिए बनी पांच सदस्यीय टीम : मामला सामने आते ही डाक अधीक्षक जेपी सिंह ने पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है. जिसमें डाक निरीक्षक मुंगेर आरके भास्कर, जमुई के सहायक डाक अधीक्षक एके मंडल, शेखपुरा के सहायक डाक अधीक्षक आशुतोष कुमार, लखीसराय के डाक अधीक्षक नीरज कुमार चौधरी एवं सिस्टम एडमिन अमरेंद्र कुमार शामिल है. जिसके द्वारा जांच किया जा रहा है. प्रारंभिक जांच में लगभग पांच लाख के गबन का मामला सामने आया है. जबकि संदेहास्पद स्थिति के 10 से 12 खातों को फ्रिज कर दिया गया.
कहते हैं डाक अधीक्षक
डाक अधीक्षक जेपी सिंह ने कहा कि प्रारंभि जांच में पांच लाख रुपये गबन मामला सामने आया है. जिसके कारण तत्काल उपडाकपाल तलत सुलताना को निलंबित कर दिया गया. जबकि जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया. जिनके द्वारा गबन की जांच करायी जा रही है. इसमें जो भी दोषी पाये जायेंगे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
नहीं है पार्किंग की व्यवस्था, जहां मन किया वहीं लगा देते हैं वाहन
मुंगेर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है. लेकिन शहर में एक पार्किंग तक की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण लोग शहर की मुख्य सड़कों के किनारे वाहनों की पार्किंग करने को विवश हैं. फलत: मुख्य बाजार में जाम की स्थिति बनी रहती है और आम राहगीरों को पैदल चलने में भी परेशानी होती है. यह परेशानी तब नासूर बन जाता है जब किसी रोगी को अस्पताल अथवा क्लिनिक पहुंचाने के दौरान जाम लग जाता है.
मुंगेर : मुंगेर शहर खूबसूरत है. यहां की सड़कें भी काफी चौड़ी है. क्योंकि यह शहर वर्ष 1934 में आयी भीषण भूकंप के बाद नये नक्शे पर इसे फिर से बसाया गया. आवागमन, ट्रैफिक व्यवस्था एवं बाजार के हिसाब से शहर को तैयार किया गया. मुंगेर शहर में जितने चौक-चौराहे और फुटपाथ हैं. उतने शायद ही किसी शहर में देखने को मिलते हैं. शहर की हर सड़क एक दूसरे से जुड़ी है. मुहल्ले की गलियां भी मुख्य सड़क से जुड़ी हैं. लेकिन वर्तमान व्यवस्था ऐसी हो गयी है, इस शहर में मोटर साइकिल पार्क करने तक की जगह नहीं है.
शहर में नहीं है पार्किंग की व्यवस्था : मुंगेर शहर की आबादी लगभग दो लाख है. इसके लिए शहर में एक पार्किंग तक की व्यवस्था नहीं है. लोगों को सड़क किनारे वाहनों को खड़ा करना पड़ता है. जबकि चार पहिया वाहन भी सड़कों पर ही लोग खड़ा करते हैं. मुंगेर शहर के तीन से चार किलोमीटर क्षेत्र में बाजार फैला हुआ है और लोग खरीदारी के लिए अमूमन साइकिल, मोटर साइकिल से बाजार आते हैं. जो अपनी वाहनों को सड़क किनारे खड़ा कर खरीदारी करते हैं. शहर की सड़कों पर इस तरह वाहनों को लगाया जाता है. उससे लगता है मानो शहर की सड़कें ही पार्किंग स्थल है.
पार्किंग के अभाव में लगता है जाम : शहर में पार्किंग सुविधा के अभाव में हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. डॉक्टर पट्टी के रूप में मशहूर बड़ी बाजार मार्ग में हमेशा जाम की स्थित रहती है. जबकि पंजाब नेशनल बैंक, एसबीआइ बाजार ब्रांच, बेकापुर, मुख्य बाजार में बैंक, निजी संस्थान के सामने सड़कों पर वाहन को खड़ा किया जाता है. जिसके कारण हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है और चलना भी मुश्किल हो रहा है. इतना ही नहीं अस्पताल मार्ग, कोतवाली चौक से नीलम चौक तक हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है.
व्यावसायिक प्रतिष्ठान के पास भी नहीं है पार्किंग जोन
शहर की हालात ऐसी है कि किसी भी दुकानदार अथवा संस्थान के पास अपनी पार्किंग की सुविधा नहीं है. शहर में बड़े-बड़े दुकान खोल लिये गये हैं. फुटपाथ तक पर दुकान का शो-केश बना लिया गया है. लेकिन दुकान में आने वाले उपभोक्ताओं के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं की है. उपभोक्ताओं को दुकान के आगे सड़क पर ही वाहनों को खड़ा करना पड़ता है. शहर के खाली फुटपाथ एवं जगहों पर फुटपाथी दुकानदारों के साथ ही ठेला वाले, सब्जी दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है. जिसके कारण कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं बची है. इतना ही नहीं शहर में कुकुरमुत्ते की तरह नर्सिंग होम, क्लिनिक एवं पैथोलॉजी सेंटर है. जहां सैकड़ों की संख्या में रोगी व उसके परिजन रोजाना पहुंचते हैं. लेकिन किसी के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है.
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