शिशु मृत्यु दर घटी, पर समस्याएं नहीं
वॉर्मर व एयरकंडीशनर भी पड़ा है खराब मुंगेर : सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू (स्पेशल न्यूनेशन केयर यूनिट) में पिछले छह माह के दौरान शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है़ किंतु वर्तमान समय में एसएनसीयू कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है़ इसे जल्द ही दूर नहीं किया गया, तो एसएनसीयू के बेस्ट परफॉरमेंस […]
वॉर्मर व एयरकंडीशनर भी पड़ा है खराब
मुंगेर : सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू (स्पेशल न्यूनेशन केयर यूनिट) में पिछले छह माह के दौरान शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है़ किंतु वर्तमान समय में एसएनसीयू कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है़ इसे जल्द ही दूर नहीं किया गया, तो एसएनसीयू के बेस्ट परफॉरमेंस को बैड परफॉरमेंस में बदलते देर नहीं लगेगी़ पिछले दो साल से यहां अत्याधुनिक एक्स-रे मशीन जंग खा रही है, वहीं आज तक पैथोलॉजी सेवा आरंभ नहीं की जा सकी है़ इतना ही नहीं यहां पर लगभग एक तिहाई दवाओं की भी कमी है़ इस कारण नवजात के परिजनों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है़
छह माह में घटी शिशु मृत्यु दर: सदर अस्पताल का एसएनसीयू पिछले साल तक शिशु मृत्यु दर को कम कर पाने सफल नहीं हो पा रहा था. किंतु पिछले छह महीने में यहां कुल 491 नवजात को इलाज के लिए भरती किया गया़ इसमें से 217 नवजात को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया़ 103 बच्चों को रेफर किया गया, 30 बच्चों के परिजन बिना सूचना के ही उसे लेकर चले गये तथा 34 नवजात की इलाज के दौरान मौत हुई़ चिकित्सकीय मानकों के अनुसार यह रिपोर्ट बेस्ट माना जाता है़ हालांकि इसमें रेफर होने वाले नवजातों की संख्या कुछ अधिक है.
जंग खा रही लाखों की एक्स-रे मशीन: पिछले 2 साल से एसएनसीयू में लगायी गयी लाखों रुपये की अत्याधुनिक डिजिटल एक्स-रे मशीन जंग खा रही है़ इस मशीन को एसएनसीयू में इस उद्देश्य से लगाया गया था कि गंभीर अवस्था में यदि नवजात का एक्स-रे जांच की जरूरत पड़े तो नवजात को बाहर नहीं ले जाना पड़े़ किंतु पिछले दो साल के दरमियान यहां एक्स-रे मशीन के संचालन के लिए टैक्नीशियन को पदस्थापित ही नहीं किया गया है़ यही हाल रहा तो पूर्व के आइसीयू में लगे वेंटीलेटर की तरह यह एक्स-रे मशीन भी खराब हो जायेगी.
नहीं है पैथोलॉजी की सुविधा: चिकित्सकीय मानकों के अनुसार एसएनसीयू के अंदर ही पैथोलॉजी की भी सुविधा होनी चाहिए़ इलाज के दौरान बीमार नवजातों के कई प्रकार की जांच की आवश्यकता होती है़ किंतु एसएनसीयू में पैथोलॉजी की सुविधा नहीं रहने के कारण जांच के लिए सदर अस्पताल के जांच घार में जाना पड़ता है़ किंतु जांच घर 24 घंटे संचालित नहीं होने के कारण अधिकांश लोगों को बाहर के पैथोलॉजी से ही जांच करानी पड़ती है़ ऐसे में नवजात के इलाज में काफी देर हो जाती है, इससे उसका इलाज प्रभावित होता है़
एक तिहाई दवा का है अभाव: एसएनसीयू में कुल 21 प्रकार के दवा को 24 घंटे उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है़ किंतु उनमें से 7 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध नहीं है़ जिसमें डोपामीन, डोडिबाइकार्ब, पीएमओ लाइन, एम्पीलॉक, मैट्रोन, एमीनोपॉलिन तथा ह्यूमन मिल्क उपलब्ध नहीं है़ मालूम हो कि ये सभी दवाइयां नवजात के इलाज के दौरान बेहद जरूरी होती है़ जिसमें ह्यूमन मिल्क का तो विशेष महत्व है़ यह वैसे नवजातों को उपलब्ध कराया जाना है, जिसकी माता के दूध नहीं हो रहा हो. किंतु अस्पताल प्रबंधन की बदहाली के कारण ये सभी दवाएं नवजात के परिजनों को बाहर से खरीदनी पड़ती है़ं
खराब पड़े हैं कई अन्य संयंत्र: एसएनसीयू में कुल 13 रेडियेंट वॉर्मर लगाये गये हैं, इनमें से 2 खराब पड़े हुए हैं. ऐसे में एक साथ कई नवजात के पहुंच जाने पर काफी परेशानी होती है़ वहीं एसएनसीयू के भीतर कुल 9 एयरकंडीशन मशीन लगाये गये हैं. इनमें से 4 खराब पड़े हुए हैं. रेडियेंट वार्मर में जिस तौलिये पर नवजातों को लिटा कर इलाज किया जाता है, वह प्रतिदिन बदला नहीं जाता है़ इससे एक से दूसरे नवजात में संक्रमण की संभावना बनी रहती है़