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सुरक्षित नहीं हैं शहर के भी बैंक

मुंगेर में बैंकों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. अधिकांश बैंकों की सुरक्षा निजी कंपनियों के सुरक्षा गार्डों के बूते हो रही है, तो कहीं पर होमगार्ड व चौकीदार के लाठी के भरोसे बैंकों की सुरक्षा है. बिहार ग्रामीण बैंक की किसी भी शाखा में आर्म्स गार्ड नहीं हैं, जबकि जिले में इसकी कुल 41 शाखाएं […]

मुंगेर में बैंकों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. अधिकांश बैंकों की सुरक्षा निजी कंपनियों के सुरक्षा गार्डों के बूते हो रही है, तो कहीं पर होमगार्ड व चौकीदार के लाठी के भरोसे बैंकों की सुरक्षा है. बिहार ग्रामीण बैंक की किसी भी शाखा में आर्म्स गार्ड नहीं हैं, जबकि जिले में इसकी कुल 41 शाखाएं हैं. अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों में कहीं होमगार्ड, तो कहीं निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड से काम चलाया जा रहा. इस परिस्थिति में यहां कभी भी शेखपुरा के इंडियन बैंक की तरह लूट की घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है.
मुंगेर : मुंगेर जिले में विभिन्न बैंकों की 124 शाखाएं हैं. इसमें बिहार ग्रामीण बैंक की 41, भारतीय स्टेट बैंक की 15, यूको बैंक की 10, पंजाब नेशनल बैंक की 8, इलाहाबाद बैंक की 7, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 2, केनरा बैंक की 4, पंजाब एंड सिंध की 1, आइडीबीआइ की 1, इंडियन ओवरसीज बैंक की 1, बैंक ऑफ इंडिया की 6, मुंगेर जमुई सेंट्रल बैंक की 6, एक्सिस बैंक की 2, एचडीएफसी की 2, आइसीआइसीआइ की 1, बंधन बैंक की 3, यूनाइटेड बैंक की 1, भूमि विकास बैंक की 2, आंध्रा बैंक की 1, बैंक ऑफ बड़ोदा की 3, सिंडिकेट बैंक की 1, यूनियन बैंक 4, इंडियन बैंक की 1 व विजया बैंक की 1 शाखा कार्यरत है.
जबकि लगभग 50 की संख्या में सीएसपी काउंटर भी संचालित हो रहे. लेकिन अधिकांश बैंकों की सुरक्षा पूरी तरह भगवान भरोसे है. बताया जाता है कि बैंकों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से पहले गार्ड की बहाली होती थी. इसमें भूतपूर्व सैनिकों को रखा जाता था, लेकिन वर्तमान में गार्ड की बहाली बंद हो गयी है. इसके कारण निजी सुरक्षा एजेंसी से गार्ड से सुरक्षा करायी जा रही है.
लाठी के भरोसे करोड़ों की सुरक्षा:
ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश बैंक शाखाओं में लाठी के भरोसे करोड़ों रुपये की सुरक्षा की जा रही है, जो कहीं से भी सुरक्षा के दृष्टिकोण से सही नहीं है.
बैंक शाखाओं में कमजोर सुरक्षा व्यवस्था के कारण अनधिकृत लोग भी बैंक में प्रवेश कर रहे हैं. इसके कारण बैंक से रुपया निकालने वालों की रेकी होती है और मौका मिलते ही या तो रुपया छीन लिया जाता है अथवा पैसा चोरी कर लिया जाता है. इतना ही नहीं बैंकों में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, लेकिन उसकी सही मॉनीटरिंग नहीं हो रही है.
पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल : बैंक से रुपये लेकर बाहर निकले वालों के साथ पैसों की छिनतई व चोरी की घटना जिले में आम बात हो गयी है. बैंकों की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधिकारी व बैंकर्स की बैठकों का दौर भी चलता है, लेकिन उस पर अमल नहीं होता है. थानों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में पड़ने वाले बैंकों में जाकर रोजाना स्थिति का जायजा लेंगे. लेकिन शायद ही ऐसा होता है.
शेखपुरा जैसी घटना की हो सकती है पुनरावृत्ति : अपराधियों ने रुपया कमाने का नया ठिकाना बैंक कोबना रखा है. इसके कारण हाल के दिनों में कई बैंकों में लूट की घटना को अंजाम दिया गया है.
गुरुवार को शेखपुरा के जिला मुख्यालय के कटरा चौक स्थित इंडियन बैंक में आधा दर्जन हथियार से लैस अपराधी घुस गये और 22.64 लाख रुपये की डकैती दिन दहाड़े कर ली. यहां भी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है. इसी तरह मुंगेर के बैंकों में सुरक्षा के कोई खास इंतजाम नहीं है. अगर समय रहते बैंकों की सुरक्षा नहीं की गयी तो मुंगेर भी शेखपुरा जैसी लूट कांड जैसी घटना को अपराधी अंजाम दे सकते हैं.
केस स्टडी-1
प्रभात खबर की टीम गुरुवार को एसबीआइ बाजार ब्रांच पहुंची. गेट पर कोई गार्ड नहीं था. लोग बेधड़क अंदर-बाहर हो रहे थे. अंदर भी कोई गार्ड तैनात नहीं दिखा. जब इस संबंध में मैनेजर से बात करने का प्रयास किया गया, तो बैंक कर्मियों ने बताया कि मैनेजर छुट्टी पर हैं. प्रभार में लेखापाल कमाल अहमद हैं. उन्होंने बताया कि गार्ड इधर-उधर कहीं होगा.
केस स्टडी -2
सेंट्रल बैंक के मुख्य गेट पर कोई गार्ड खड़ा नहीं था. दूसरे दरवाजे पर भी कोई गार्ड नहीं मिला. बैंक के अंदर भी गार्ड कहीं नहीं दिखा. बैंक मैनेजर रवि कुमार ने बताया कि खुफिया कैमरा लगा हुआ है और आर्म्स गार्ड भी है, लेकिन गार्ड कहीं दिख नहीं रहा था. इस संबंध में उन्होंने बताया कि गार्ड कहीं गया होगा.
केस स्टडी-3
नगर भवन के समीप बिहार ग्रामीण बैंक के मुख्य शाखा में भी सुरक्षा व्यवस्था नदारत थी. यह शहर का एक ऐसा बैंक है जहां सुरक्षा गार्ड नहीं है. मुख्य प्रबंधक सुयश जायसवाल ने आनाकानी करते हुए बताया कि यहां सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, जबकि ग्रामीण बैंक शाखा में सुरक्षा गार्ड रखने का प्रावधान ही नहीं है. कोतवाली थाना की पुलिस दो-तीन बार गश्ती के दौरान इस होकर आती-जाती है.

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