निगरानी जांच से निगमकर्मियों के होश हुए फाख्ता
स्ट्रीट लाइट घोटाला. पूर्व मेयर कुमकुम देवी के कार्यकाल में लगी थी 900 स्ट्रीट लाइट, हुई थी धांधली वित्तीय अनियमितता व घोटालों के लिए चर्चित मुंगेर नगर निगम एक बार फिर सुर्खियों में है. निगम की पूर्व मेयर कुमकुम देवी के कार्यकाल में 900 स्ट्रीट लाइट लगाये गये थे. इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता […]
स्ट्रीट लाइट घोटाला. पूर्व मेयर कुमकुम देवी के कार्यकाल में लगी थी 900 स्ट्रीट लाइट, हुई थी धांधली
वित्तीय अनियमितता व घोटालों के लिए चर्चित मुंगेर नगर निगम एक बार फिर सुर्खियों में है. निगम की पूर्व मेयर कुमकुम देवी के कार्यकाल में 900 स्ट्रीट लाइट लगाये गये थे. इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता बरती गयी थी. चहेते संवेदक के माध्यम से अधिक कीमत में स्ट्रीट लाइट की आपूर्ति करायी गयी. जबकि उसकी लागत कीमत आधी भी नहीं है. अब जबकि इस मामले में निगरानी जांच प्रारंभ हुई, तो निगमकर्मियों के होश उड़ गये हैं.
मुंगेर : 4 वर्ष 2014 में नगर निगम के 45 वार्डों में 20-20 स्ट्रीट लाइट, सीएफएल सेट पोल लगायी गयी थी. 1 करोड़ 19 लाख की लागत से कुल 900 स्ट्रीट लाइट लगायी गयी थी. लेकिन इसके निविदा में बड़े पैमाने पर धांधली बरती गयी और लगभग 50 लाख रुपये का वारा-न्यारा किया गया. सशक्त स्थायी समिति के सदस्य को ही क्रय समिति का सदस्य बनाकर फर्जीवाड़ा किया गया था. जबकि क्रय समिति के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारियों की एक कमेटी बनानी थी.
क्या है मामला : चतुर्थ वित्त मद से नगर निगम के 45 वार्डों में 20-20 लाइट लगायी गयी. इसके लिए पूर्व मेयर कुमकुम देवी एवं पूर्व डिप्टी मेयर बेबी चंकी सहित सशक्त स्थायी समिति की सदस्य फातमा खानम, राजेश ठाकुर, गोविंद मंडल, विकास यादव, रामानंद यादव, सुजीत पोद्दार, मीली देवी द्वारा योजना का प्रस्ताव लाया गया और बोर्ड से पास कराया गया. इसके बाद निविदा निकाली गयी. निविदा के उपरांत क्रय समिति का गठन नहीं कर सामान की खरीदारी कर ली गयी.
जिसमें सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों को ही क्रय समिति का सदस्य बना दिया गया और सात सदस्यीय समिति में मात्र चार सदस्यों ने ही अपना हस्ताक्षर किया. जबकि शेष तीन सदस्य ने हस्ताक्षर भी नहीं किये.
निगरानी की टीम ने की जांच : निगरानी की टीम ने नगर निगम में स्ट्रीट लाइट खरीद के मामले में पड़ताल प्रारंभ कर दी है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक श्रीनारायण सिंह एवं महेंद्र कुमार सिन्हा ने बुधवार को स्ट्रीट लाइट से संबंधित फाइलों को खंगाला और महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की. निगरानी टीम की जांच के बाद माना जा रहा है कि इस मामले में अनियमितता बरतने वाले निगम के अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई तय है.
बिना क्रय समिति के हुई स्ट्रीट लाइट की खरीदारी
निविदा खोलने के समय नगर निगम की स्थायी समिति व क्रय समिति के सदस्यों की बैठक में निविदा खोली जानी थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निविदा में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी. नियमत: क्रय समिति में जिलाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त एक प्रतिनिधि, वाणिज्यकर पदाधिकारी, उद्योग विभाग के पदाधिकारी एवं अन्य सदस्य नगर निगम का होना चाहिए. लेकिन नगर निगम द्वारा समान की खरीदारी के समय क्रय समिति का गठन नहीं किया गया और सामान की आपूर्ति की गयी. जो वित्तीय अनियमितता को उजागर करता है.
चहेते संवेदक से करायी गयी सामान की आपूर्ति
स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए निकाली गयी निविदा के तहत सबसे कम 6,850 रुपये का टेंडर मेसर्स श्री इलेक्ट्रिक के राजेश कुमार ने डाला था. जबकि मेसर्स महावीरा बिल्डवेल प्रा लि पटना को प्रति स्ट्रीट लाइट 13,238 में कार्य आवंटित किया गया. नियमत: न्यूनतम दर वाले निविदादाता का ही दर मान्य होना चाहिए. लेकिन पूर्व महापौर कुमकुम देवी ने ऐसा नहीं किया और चहेते संवेदक को 13,238 रुपये की दर से स्ट्रीट लाइट लगाने की स्वीकृति प्रदान कर दी. इस मामले में निगम को कुल 51 लाख 75 हजार रुपये अधिक व्यय करना पड़ा. या यूं कहें कि इस राशि की बंदरबांट की गयी.
कार्य आवंटन का आधार
टेंडर खुलने के उपरांत निगम ने उच्च स्तर वाले निविदादाताओं की निविदा में एनआइटी के मापदंड की अपेक्षा के साथ ही उच्च दर एवं न्यूनतम मापदंड को उपेक्षित बताया. जबकि न्यूनतम मापदंड एनआइटी के अनुरूप अपेक्षित पाया गया. जिसमें न्यूनतम दर वाले निविदादाताओं को स्ट्रीट लाइट लगाने से पूर्व निगम कार्यालय में नमूना के लिए मंगाया गया. इसका निरीक्षण सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा किया गया. जिसमें पाया गया कि न्यूनतम दर 6850 रुपये वाले निविदादाता द्वारा उपलब्ध करायी गयी सामग्री निम्न गुणवत्तावाली है, जो लगाने योग्य नहीं है. जबकि ठीक इसके ऊपर दर 13,238 रुपये वाले निविदादाता की सामग्री न्यूनतम दर की अपेक्षा उच्च गुणवत्ता पायी गयी और 13,238 रुपये वाले निविदादाता को स्ट्रीट लाइट लगाने का निर्देश दिया गया. जबकि स्ट्रीट लाइट के गुणवत्ता की जांच सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों से नहीं करा कर एक्सपर्ट की टीम से करायी जानी थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सेटिंग-गेटिंग के तहत स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर लाखों रुपये की फर्जी निकासी की गयी.
बिना एक्सपर्ट हुई गुणवत्ता की जांच
सरकारी नियमानुसार, किसी भी सामान की खरीदारी के लिए संबंधित सामानों की एक्सपर्ट से जांच करायी जाती है. इसके लिए पूर्व मेयर व सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों ने स्वयं ही स्ट्रीट लाइट के पोल की जांच कर गुणवत्तापूर्ण बताते हुए उसे लगाने की सहमति दी. जबकि इस निविदा के तहत न तो क्रय समिति का गठन किया गया और न ही जिला स्तरीय क्रय समिति के लिए सदस्यों की कमेटी बनायी गयी. इतना ही नहीं लाइट लग जाने के बाद पीडब्लूडी के इंजीनियर को जांच का जिम्मा सौंपा गया. जिन्होंने अपनी रिपोर्ट देते हुए बताया कि वार्ड में लाइट लगायी गयी है और लाइट जल रही है. जिससे स्पष्ट होता है कि स्ट्रीट लाइट की गुणवत्ता की जांच भी नहीं हुई और बिना एक्सपर्ट के ही सामान की खरीदारी की गयी.
टेंडर में 11 एजेंसियों ने लिया था भाग
संवेदक पता राशि
मुकेश कुमार हसनगंज, मुंगेर 21,500
हसीबुर रहमान दिलावरपुर, मुंगेर 21,500
शत्रुधन कुमार हसनगंज, मुंगेर 21,500
दिलीप मंडल नयारामनगर, मुंगेर 21,500
गुरुदत्त कुमार शंकरपुर, मुंगेर 34,950
मुकेश कु. मंडल एचपीसीएल, मुंगेर 20,710
महेश कु. झा आरके इंटरप्राइजेज, पटना 32,694
राजेश कुमार मे. श्री इलेक्ट्रिक, गांधीनगर पटना 6850
मेसर्स महावीरा प्रा. लि. पटना 13,238
विमल कुमार पटना 21,500
अरुण कुमार सिंह बिंदवारा 15,220