अतिक्रमण के कारण जाम से आम परेशान
तारापुर : जाम का नाम सुनते ही लोगों का हौसला पस्त हो जाता है. हो भी क्यों नहीं, जब मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़े. अनुमंडल मुख्यालय तारापुर का मुख्य बाजार अतिक्रमण के कारण जाम की गंभीर समस्या से जूझ रही है. कई बार तो यहां ऐसी जाम लगती है कि घंटों वाहन […]
तारापुर : जाम का नाम सुनते ही लोगों का हौसला पस्त हो जाता है. हो भी क्यों नहीं, जब मिनटों का सफर घंटों में तय करना पड़े. अनुमंडल मुख्यालय तारापुर का मुख्य बाजार अतिक्रमण के कारण जाम की गंभीर समस्या से जूझ रही है. कई बार तो यहां ऐसी जाम लगती है कि घंटों वाहन फंसे रह जाते हैं. सुल्तानगंज-देवघर मुख्य मार्ग पर स्थित तारापुर में मुख्य बाजार होकर मार्ग गुजरा है. इसी होकर सभी वाहनें गुजरती है. प्रशासनिक स्तर पर भले ही बार-बार अतिक्रमण को हटाया जाता. लेकिन किसी न किसी कारण से यहां जाम आम हो गया है.
तारापुर शहर का चहल पहल वाला इलाका सुलतानगंज-देवघर मुख्य मार्ग पर धौनी मोहनगंज पुल से लेकर उर्दू चौक तक तथा खड़गपुर-तारापुर मार्ग में शहीद चौक से चौरा नदी पुल सोनडीहा मोड़ तक का है. वैसे सड़कें चौड़ी हैं लेकिन स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर इसे संकीर्ण बना दिया है. बाजार में दुकानों के साथ ही बैंक की अनेक शाखाएं हैं. लेकिन यहां पार्किंग के लिए मकान मालिक ने जगह नहीं छोड़ी है. फलत: दुकानदारी हो या बैंक के उपभोक्ता अपने वाहनों को सड़क किनारे ही लगाते हैं और फिर शुरू हो जाती है जाम की कथा. थाना चौक जाम का एक मुख्य केंद्र है. थाना की दीवाल से सटाकर दुकान लगाये जाते हैं
और अन्य दुकानदार उसी का उदाहरण भी देते है. शहर में कई स्थान ऐसे हैं जहां सब्जी या फुटकर विक्रेता को एडजस्ट किया जा सकता है. पर किसी स्तर पर प्रयास नहीं हुए. यहां तक कि जिला परिषद के स्टैंड परिसर में भी मार्केट कॉम्प्लेक्स का विकास किया जा सकता है. किंतु इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. लोजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश कुमार सिंह कहते हैं कि सड़क पर जाम का एकमात्र कारण प्रशासनिक सुस्ती है. वहीं राजद के प्रदेश परिषद सदस्य सह जिला पार्षद मंटु यादव का कहना है कि कुछ लोगो के कारण ही जाम की समस्या है. जिसपर एक कार्य योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है. सामाजिक कार्यकर्ता चन्दर सिंह राकेश का कहना है कि सबसे पहले एकबार स्थानीय लोगों के समिति के समक्ष प्रशासन भूमि की मापी करवाकर चिह्नित करें तथा पूरी तरह से अतिक्रमणमुक्त करायें. यदि पुन: अतिक्रमण होता है तो इसके लिए जवाबदेही भी तय होनी चाहिए.