बिहार : छत्तीसगढ़ में शहीद मुंगेर के लाल के घर मचा कोहराम, संध्या 5:30 में थाने से मिली सूचना, भाइयों में था सबसे छोटा

जमालपुर (मुंगेर) : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पनाहगाह पलोड़ी गांव के किस्ताराम इलाके में हुई नक्सली वारदात में जमालपुर के सिकंदरपुर निवासी सीआरपीएफ जवान अजय कुमार यादव के शहीद होने की खबर सुनते ही परिजनों में हाहाकार मच गया और पूरा परिवार चीख-चीत्कार व रोदन से दहल उठा. पूरे गांव में मातम छा गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2018 6:56 AM
जमालपुर (मुंगेर) : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पनाहगाह पलोड़ी गांव के किस्ताराम इलाके में हुई नक्सली वारदात में जमालपुर के सिकंदरपुर निवासी सीआरपीएफ जवान अजय कुमार यादव के शहीद होने की खबर सुनते ही परिजनों में हाहाकार मच गया और पूरा परिवार चीख-चीत्कार व रोदन से दहल उठा. पूरे गांव में मातम छा गया और सबों की आंखें नम हो गयीं. पिछले शनिवार को ही होली का छुट्टी खत्म कर अजय अपनी ड‍्यूटी पर गया था.
पुत्र ओम कुमार अपनी बड़ी मां को टुकुर-टुकुर देख रहा था : शहीद जवान की पत्नी सुप्रिया भारती का रो-रो कर बुरा हाल था. दूसरी ओर उसकी बड़ी भाभी छाती पीट कर रो रही थी. कोई मेरे लाल को बुला दो. वहीं मंझली भाभी सविता देवी दहाड़ मार कर रो रही थी.
दूसरी ओर अड़ोस-पड़ोस के दर्जनों लोग वहां एकत्रित हो गये जो उनके बड़े भाई कैलाश कुमार यादव और पिता को ढांढ़स बढ़ा रहे थे.शहीद की दो संतानों को यह पता नहीं था कि उनके पिता ने अपना सर्वोच्च अपने कर्तव्य के निर्वहन में बलिदान कर दिया. पांच साल की बिटिया आराध्या भारती को उसके पिता गुनगुन कह कर पुकारते थे, जबकि लगभग तीन साल का पुत्र ओम कुमार अपनी बड़ी मां को रोते हुए टुकुर-टुकुर देख रहा था.
थाने से मिली सूचना
संध्या करीब 5:30 बजे तक अजय के घर में माहौल पहले की तरह था. अचानक समय पत्रकारों का दल उसके घर पहुंचा, तो पिता सरजुग यादव अपने काम में व्यस्त थे. एक साथ कई लोगों को देखकर वह पूछताछ करने लगे. किसी को भी उन्हें उनके लाल की शहादत की बात कहने की हिम्मत नहीं हो पायी. इसी बीच ईस्ट कॉलोनी थाने के पुलिस पदाधिकारी वहां पहुंच गये, जिन्होंने अजय के शहीद होने की खबर परिजनों को दी.
भाइयों में सबसे छोटा
अजय तीन भाइयों में सबसे छोटा था. सीआरपीएफ में वर्ष 2002 में ज्वाइन करने के बाद 2005 में उनकी शादी मुंगेर के हाजीसुभान निवासी सुप्रिया भारती से हुई थी. बड़े भाई ने बताया कि अजय अत्यंत ही मिलनसार व्यक्तित्व का था. अभी होली में ही वह 26 फरवरी को घर आया था और अपने परिजनों के साथ होली बिता कर पिछले 10 मार्च को ड्यूटी ज्वाइन करने यहां से निकला था. उस समय किसी को पता नहीं था कि यह अजय की आखिरी मुलाकात होगी.

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