नयी सरकार से मुंगेर के लोगों को है काफी उम्मीद, क्योंकि
मुंगेर : तीन दिन बाद एक बार फिर देश में नयी सरकार बनने वाली है. जिस गंठबंधन की यह सरकार बनेगी उसी गंठबंधन को मुंगेर ने भी अपना भरपूर समर्थन दिया और एनडीए के प्रत्याशी की शानदार जीत हुई. जाहिर है कि नयी सरकार व नये सांसद से मुंगेर वासियों को काफी उम्मीदें भी हैं. खासकर मुंगेर में गंगा नदी पर बन रहे रेल सह सड़क पुल का निर्माण शीघ्र कराने व एशिया प्रसिद्ध जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना घोषित करने का मुद्दा प्रमुख है.
इसके साथ ही मुंगेर के औद्योगिक व शैक्षणिक विकास के संदर्भ में भी लोगों ने काफी उम्मीदें पाल रखी है. मुंगेर संसदीय क्षेत्र की जनता ने परिवर्तन की लहर में नरेंद्र मोदी को अपना भाग्य विधाता माना और एनडीए गठबंधन के लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी के सिर पर ताज रखा. यह ताज आम लोगों के लिए बड़ा ही सुखद व रोमांचकारी है. इस ताज के माध्यम से क्षेत्र की जनता ने अपने विकास की एक नयी कल्पना को भी प्रस्तुत किया है. जिसके तहत जहां युवाओं को रोजगार चाहिए, बेघरों को घर चाहिए, रोगियों को चिकित्सा चाहिए तो बच्चों को शिक्षा चाहिए. आजादी के बाद से अबतक मुंगेर का जितना विकास होना चाहिए वह नहीं हो पाया.
यह बात अलग है कि मुंगेर को राजनेताओं ने खंड-खंड कर दिया और वह खंड शायद मुंगेर से अधिक विकसित हो गया. यदि हम बेगूसराय की ही बात लें तो मुंगेर से अलग होने के बाद वह एक औद्योगिक शहर के रूप में विकसित हुआ किंतु मुंगेर का उद्योग धंधा चौपट होता चला गया. आजादी के पूर्व स्थापित जमालपुर रेल कारखाना एवं मुंगेर सिगरेट फैक्टरी विकास के दौर में कहीं न कहीं पिछड़ गया. लोगों के रोजगार के अवसर कम होते गये. एशिया प्रसिद्ध जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना बनने का सपना अबतक पूरा नहीं हुआ.
जबकि लालू, रामविलास व नीतीश जैसे बिहार के कद्दावर नेता रेलमंत्री रहे. आज इस कारखाना में कार्यभार की काफी कमी हो चुकी है और आधे से भी कम कर्मचारी काम कर रहे.
मुंगेर ही नहीं आसपास के कई जिलों के लोगों में यह आशा बंधी है कि देश में नयी सरकार व मुंगेर के नये सांसद इस कारखाना के विकास पर कोई ठोस व्यवस्था करेंगे. मुंगेर के विकास का प्रतीक माने जाने वाले गंगा रेल सह सड़क पुल का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा कराने के संदर्भ में भी लोगों को काफी उम्मीदें हैं. एनडीए सरकार के कार्यकाल में ही इस पुल का आधार शिला रखा गया था.
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रिमोट के माध्यम से वर्ष 2002 में पुल का आधार शीला रखा था. इस पुल के पूरा होने का निर्धारित समय 2009 रखा गया था. लेकिन वाजपेयी जी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट आजतक अधूरा है. मुंगेर वासियों को उम्मीद है कि यह सपना अब शीघ्र ही साकार होगा. जिसके साथ मिट जायेगी अंग-कोशी व मिथिला की दूरी.