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मुंगेर में ललन सिंह व नीलम देवी के बीच होगा सीधा मुकाबला, जातीय गोलबंदी पर टिका है हार-जीत का खेल
राणा गौरी शंकर मुंगेर : योग नगरी मुंगेर में राज्य सरकार के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह व मोकामा विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. ललन सिंह जहां जदयू के टिकट से मैदान में हैं, वहीं नीलम देवी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक […]
राणा गौरी शंकर
मुंगेर : योग नगरी मुंगेर में राज्य सरकार के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह व मोकामा विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है. ललन सिंह जहां जदयू के टिकट से मैदान में हैं, वहीं नीलम देवी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक रही हैं. चौथे चरण में 29 अप्रैल को यहां मतदान होना है. इस बार चुनाव में स्थानीय मुद्दे पूरी तरह गौण हैं. जातीय आधार पर मतों का ध्रुवीकरण हो रहा है.
एक ओर मोदी-नीतीश के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं, तो दूसरी ओर लालू प्रसाद व बेरोजगारी आदि को मुद्दा बनाकर मैदान फतह करने की तैयारी चल रही है. एनडीए को भाजपा व जदयू के कैडर वोटों के साथ ही दलित/महादलित वोटों का भरोसा है, तो महागठबंधन माई समीकरण के साथ ही निषाद व कुशवाहा मतों को अपने पाले में करने की जुगत भिड़ा रहा है.
वर्ष 2009 में नये परिसीमन के तहत हुए चुनाव में जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह यहां से सांसद बने थे, लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में वे एनडीए के लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी से पराजित हो गये थे. उस चुनाव में जदयू ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था और मोदी लहर में जदयू राज्य में मात्र दो सीट पर अपनी जीत दर्ज करा पायी थी. इस बार राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुका है.
यहां मुकाबला पूरी तरह आमने-सामने का है. एक ओर नीतीश सरकार के मंत्री ललन सिंह तो दूसरी ओर मोकामा के विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी हैं. दोनों ओर से इस महामुकाबला में अपनी जीत दर्ज कराने के लिए पूरी शक्ति लगा दी गयी है. जातीय आधार पर मतों का ध्रुवीकरण किया जा रहा. दोनों ही प्रत्याशी भूमिहार जाति हैं, इस कारण उहापोह की स्थित भूमिहार जाति के मतदाताओं के बीच ही दिख रहा है, जो खुलकर किसी के पक्ष में सामने नहीं आ रहे, जबकि एनडीए के सवर्ण मतों के साथ ही वैश्य, अतिपिछड़ा, दलित व कुर्मी मतों का ध्रुवीकरण एनडीए की ओर दिख रहा है.
इधर, महागठबंधन के परंपरागत वोट पूरी तरह एकजुट दिख रहे हैं. महागठबंधन के नेता निषाद व कुशवाहा मतों को अपनी ओर करने में पूरी शक्ति लगा रहे हैं. महागठबंधन के नेता मुकेश सहनी व उपेंद्र कुशवाहा के समर्थक अपने स्वजातीय मतों में सेंधमारी करने में लगे हैं.
मुंगेर लोकसभा में हैं तीन जिलों के विस क्षेत्र
मुंगेर लोकसभा तीन जिले मुंगेर, लखीसराय व पटना के क्षेत्र में फैला हुआ है. मुंगेर जिले के मुंगेर व जमालपुर, लखीसराय के लखीसराय व सूर्यगढ़ा तथा पटना जिले के बाढ़ व मोकामा विधानसभा इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. जातीय समीकरण में यह सीट भूमिहार बहुल माना जाता है. वर्ष 2009 में नये परिसीमन के तहत हुए संसदीय चुनाव में ललन सिंह भारी मतों से विजयी भी हुए थे. 2009 के चुनाव में ललन सिंह को 3,74,317 मत मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राजद के रामबदन राय 1,84,956 मतों पर ही सिमट गये थे.
अहम बातें मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के
चुनाव में जमालपुर रेल कारखाना को निर्माण कारखाना बनाने, जमालपुर स्थित इरमी को रेल विश्वविद्यालय का दर्जा देने, मुंगेर के पर्यटन स्थलों का विकास, मृत बंदूक फैक्ट्री का आधुनिकीकरण, मुंगेर में निर्मित गंगा पुल को एप्रोच पथ से जोड़ने, रेल पुल के माध्यम से मुंगेर होकर एक्सप्रेस ट्रेनों के परिचालन, मुंगेर में मेडिकल कॉलेज खोलने, किसानों को उत्पादन का उचित मूल्य देने जैसे अहम मुद्दे हैं.
मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में बेरोजगारी, सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य हैं मुख्य मुद्दे
पटना : मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में बेरोजगारी, सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख मुद्दे हैं. यहां इस बार मुख्य मुकाबला जदयू के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और विधायक अनंत सिंह की पत्नी और कांग्रेस उम्मीदवार नीलम देवी के बीच है. यहां कुल मतदाता 18 लाख 71 हजार 193 हैं.
मुंगेर में सरकारी नियंत्रण में बंदूक का निर्माण किया जाता है. एक समय में यहां वर्ष में 12250 बंदूक का निर्माण होता था, जबकि वर्तमान में 250 बंदूक का निर्माण हो रहा है. यहां रिवाल्वर, पिस्टल व रायफल बनाने की अनुमति नहीं दी गयी है. यह फैक्ट्री आधुनिकता के दौर में पिछड़ गयी है. ऐसे में लोगों के रोजी-रोजगार की उम्मीद भी टूट गयी है.
सिंचाई की समस्या n मुंगेर के किसान वर्षों से सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां सिंचाई की कई परियोजनाएं अधूरी हैं. वहीं धरहरा में सतघरवा जलाशय परियोजना चालू नहीं हो पायी है. सिंचाई के लिए किसान आज भी वर्षा पर निर्भर हैं. वहीं गंगाब्रिज पर तीन साल से ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन अब तक एप्रोच पथ नहीं बन पाया है. एप्रोच पथ बन जाने से मुंगेर से बेगूसराय और खगड़िया की दूरी कम हो जायेगी. मुंगेर से सटे जमालपुर में एशिया का पहला रेल इंजन कारखाना है.
नहीं हुआ सुधार n मुंगेर संसदीय क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हो सका है. यहां के स्कूल और कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. इसका सीधा असर यहां के विद्यार्थियों पर पड़ रहा है. अच्छी शिक्षा के लिए दूसरे शहरों में विद्यार्थी पलायन कर रहे हैं. वहीं, मुंगेर संसदीय क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. इस कारण यहां के लोगों को इलाज करवाने के लिए पटना या फिर अन्य शहरों में जाना पड़ता है.
चुनावी अखाड़े में उतरे हुए हैं कई बाहुबली
पटना : मुंगेर सीट का मिजाज एकदम अलग है. यहां जदयू के कद्दावर नेता और राज्य मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. तो दूसरी तरफ चुनावी अखाड़े में उनके खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर बाहुबली मोकामा विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ताल ठोक रही हैं. मुकाबला सिर्फ इससे ही दिलचस्प नहीं बन गया है. बल्कि जदयू प्रत्याशी के पक्ष में टाल और दक्षिण बिहार के कई बाहुबली चुनावी प्रचार करने के लिए उतर गये हैं.
एक बाहुबली के खिलाफ अन्य सभी बाहुबली जुट गये हैं. लोजपा नेता बाहुबली सूरजभान सिंह के अलावा मोकामा इलाके के जाने-माने के डॉन ललन सिंह समेत अन्य जदयू के पक्ष में चुनाव प्रचार जोर-शोर से कर रहे हैं. भोजपुर इलाके के बाहुबली भी मुंगेर के चुनावी समर में कूद गये हैं. पूर्व विधायक सुनील पांडेय ने भी चुनाव प्रचार का मोर्चा थाम रखा है.
एक तरह से देखा जाये, तो मुंगेर सीट को कई बाहुबलियों ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है. ये सभी लोग अपने-अपने पक्ष में वोटरों को लुभाने में जुटे हुए हैं. इस सीट पर पीएम, सीएम, डिप्टी सीएम से लेकर भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत एक दर्जन से ज्यादा कद्दावर नेताओं की चुनावी सभाएं भी हो चुकी हैं.
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