गुरु के साथ सहज, सरल और निश्छल संबंध की आवश्यकता : निरंजनानंद

मुंगेर : परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने गुरु के साथ एक सहज, सरल और निश्छल संबंध की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गुरु कोई चमत्कारी पुरुष नहीं होते हैं. उनसे केवल अपनी समस्या समाधान के लिए संबंध रखना अनुचित है. गुरु के साथ अपेक्षाहीन संबंध होना चाहिए, स्वार्थ का नहीं. तब चमत्कार अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2019 7:46 AM

मुंगेर : परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने गुरु के साथ एक सहज, सरल और निश्छल संबंध की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गुरु कोई चमत्कारी पुरुष नहीं होते हैं.

उनसे केवल अपनी समस्या समाधान के लिए संबंध रखना अनुचित है. गुरु के साथ अपेक्षाहीन संबंध होना चाहिए, स्वार्थ का नहीं. तब चमत्कार अपने आप होते हैं. ये बातें संन्यास पीठ के पादुका दर्शन आश्रम में आयोजित गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के तीसरे दिन सोमवार को प्रवचन करते हुए कही.
उन्होंने कहा कि उनका अपने गुरु के साथ ऐसा ही संबंध रहा. जब वे छोटी उम्र में आश्रम आये तो उस समय आश्रम में भोजन, आवास की अत्यल्प सुविधा थी. लेकिन उनको या उनके साथ रहने वाले अन्य समर्पित संन्यासियों को यह अभाव कभी नहीं खला. बल्कि वे हमेशा मस्ती और आनंद के भाव में रहे. ऐसे समर्पित संन्यासी आज भी स्वामी सत्यानंद के मिशन से जुड़े हुए हैं.
उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. जबकि वे लोग जो किसी महात्वाकांक्षा को लेकर आये थे आज उनका दुनिया में नामोनिशान तक नहीं है. स्वामी निरंजन ने आश्रम के कुछ वरिष्ठ संन्यासियों को मंच पर आमंत्रित किया. इस क्रम में स्वामी कैवल्यानंद, स्वामी त्यागराज, स्वामी ज्ञानभिक्षु और स्वामी गोरखनाथ ने स्वामी सत्यानंद के साथ अपने कुछ प्रेरक अनुभव को साझा किया. कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु पूजा के साथ सुबह 8 बजे से हुआ.
बाल योग मित्र मंडल के बच्चों ने बेहतरीन भजन-कीर्तन प्रस्तुत किया और गुरु तत्व का आह्वान किया. साथ ही स्तोत्र पाठ एवं मंत्रपाठ के साथ भगवान शिव को समर्पित हवन संपन्न किया गया. साथ ही गंगा स्त्रोत के साथ मां गंगा की आराधना की गयी. बच्चों ने स्वामी निरंजनानंद को मंचन करते हुए मां गंगा के संरक्षण का प्रेरक संदेश भी दिया. दोपहर के सत्र में स्तोत्र पाठ, कीर्तन, रुद्राभिषेक, सत्संग और प्रसाद वितरण का क्रम चला.

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